शराब और कोरोना संकट को लेकर बृजमोहन का राज्य सरकार पर हमला

प्रादेशिक मुख्य समाचार

रायपुर-पूर्व मंत्री एवं विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने पत्रकार वार्ता में प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जनता की आंखों में धूल झोंकने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से लड़ने के राज्य सरकार के सारे दावे खोखले साबित हो गए है। इस महामारी में भी सरकार पैसे कमाने का जरिया ढूंढ रही है और शराब दुकानें खोलकर लॉक डाउन के सारे नियम-कानून की धज्जियां उड़वा कर कोरोना संक्रमण को निमंत्रण दे रहे है । राज्य सरकार की इस घोर लापरवाही ने जनता को संकट में डाल दिया है। हम कह सकते है कि छत्तीसगढ़ आज भगवान भरोसे है।
बृजमोहन ने कहा कि हाथ में गंगा जल लेकर अपनी सरकार आने के बाद पूर्ण शराबबंदी का वादा करने वाली कॉन्ग्रेस आज अपने ही वादे से मुकर रही है। लॉक डाउन जैसा अच्छा मौका उन्हें शराबबंदी के लिए दोबारा नहीं मिल सकता। नशा मुक्ति के लिए 40 से 45 दिन का का समय चिकित्सक बताते हैं। ऐसे में सरकार की नियत साफ रहती तो जनता से किया यह वादा निश्चित रूप से पूरा करती। परंतु वादा पूरा करना तो दूर, शराब दुकान का विरोध करने वाली महिलाओं पर ही इन्होंने आपदा प्रबंधन के तहत पुलिसिया कार्रवाई कर दी। यहा पर सरकार की नीति और नियत में में अंतर साफ दिख रहा है।
बृजमोहन ने राज्य सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि कोरोना से लड़ रहे चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों को तीन हिस्सों में बांटा जाना चाहिए। एक जो वर्तमान में काम कर रहे हैं वे दूसरे रिजर्व और तीसरे इमरजेंसी। आज जिस तरह से काम चल रहा है वैसे मैं अगर एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित हुआ तो अस्पताल के सारे स्टॉफ को क्वॉरेंटाइन में जाना पड़ेगा। ऐसे में कोरोना की लड़ाई लड़ पाना मुश्किल हो जाएगा।
बृजमोहन ने कहा कि शराब दुकानों को लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार के निर्देश का हवाला देती है। परंतु केंद्र सरकार ने कपड़े,मोटर पार्ट्स आदि दुकानों के लिए भी निर्देश जारी किए हैं। परंतु यह सरकार उन पर गंभीर नहीं दिखती। बृजमोहन ने सुझाव देते हुए कहा कि बाजार को 3 जोन में बांटकर अलग अलग समय पर खोले जाने की अनुमति देनी चाहिए ताकि भीड़ में जुटे तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के अलावा राज्य आपदा प्रबंधन तथा मुख्यमंत्री राहत कोष में पैसे आए हुए हैं। जिन्हें जनता के हित में खर्च करना है। परंतु यह सरकार कोई ठोस योजना बनाकर काम नहीं कर पा रही है। स्थिति यह है कि गरीब परिवारों को पहुंचाया जाने वाला अनाज भी सरकार के पास रखा हुआ है। उन्हें भी भी बांट नहीं पा रहे हैं।

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