रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के राजभवन जाकर राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनज़र राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने पर निशाना साधते हुए इसे हास्यास्पद निरुपित किया है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस के नेता ऐसा करते हुए अपने वैचारिक दीवालिएपन का प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस अपने अंतर्कलह के बोझ में सिसकती बिखराव के कग़ार पर पहुँच चुकी है और अब वह अनर्गल प्रलाप करती हुई खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोच रही है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि जिस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र दम तोड़ चुका है, जिस पार्टी ने अपने शासनकाल में संवैधानिक मूल्यों, संसदीय परंपराओं और लोकतंत्र का गला घोंटने में ज़रा भी हिचकिचाहट महसूस नहीं की, जो पार्टी संविधान और लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखती, जिसके खाते में देश में सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन लगाने का रिकॉर्ड है, आज उसी कांग्रेस के मुँह से संविधान, संसदीय परंपरा और लोकतंत्र की बातें ज़रा भी शोभा नहीं दे रही हैं। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कल तक जिस कांग्रेस को न तो चुनाव आयोग पर विश्वास था, न ईवीएम पर विश्वास था और न ही जनमत पर विश्वास है, एक ही परिवार के आधिपत्य में आंतरिक लोकतंत्र से विहीन वह कांग्रेस आज राजभवन जाकर इस तरह का प्रदर्शन कर और ज्ञापन देकर लोकतंत्र व संविधान की दुहाई दे रही है, इससे अधिक हास्यास्पद कुछ और नहीं हो सकता।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को सवालों के घेरे में लेकर पूछा कि क्या मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता उनके अपने नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के विद्रोह के चलते नहीं गई और अब राजस्थान में कांग्रेस के ही सचिन पायलट की वज़ह से ही कांग्रेस पर संकट के बादल नहीं मंडराए हुए हैं? न तो मप्र में और अब न ही राजस्थान में कांग्रेस की हो रही छीछालेदर में भाजपा की कोई भूमिका है। कांग्रेस के नेता अपनी कमज़ोरियों को छिपाने के लिए इस तरह की नौटंकियाँ कर रहे हैं। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस चाहे जो कर ले, देश कांग्रेस के असली चरित्र को अच्छी तरह समझ चुका है। यह तो शुरुआत है। कांग्रेस के नेता आंतरिक लोकतंत्र को लेकर जब तक सचेष्ट नहीं होंगे, अंतर्कलह से जूझती कांग्रेस को इन संकटों से महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा समेत दीग़र राज्यों में भी सत्ता और संगठन में दो-चार होना ही पड़ेगा।