पति-पत्नी के विवाद में महिला आयोग की मध्यस्थता सफल

प्रादेशिक मुख्य समाचार

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया, ओजस्वी मण्डावी ने आज राज्य कार्यालय में प्रकरणों पर सुनवाई की। आज की एक प्रकरण में वृध्द महिला ने बताया कि उसके खुद के मकान से ही अनावेदक बहू, पुत्र व पति ने मिलकर उसे निकाल दिया है, जो कि आवेदिका को उसके माता- पिता से मिला था। वर्तमान में वृध्द महिला अपने बेटी-दामाद के साथ रह रही है। आवेदिका के दो मकान है अनावेदकों ने स्वीकारा कि दोनो मकान आवेदिका के नाम पर ही है। अनावेदकों की स्वीकारोक्ति से स्पष्ट है कि आवेदिका दोनो मकान की मालकिन है। 04 वर्षों से अनावेदकगणों ने आवेदिका को उसके अपने ही घर से निकाल दिया है। आयोग की समझाईश पर अनावेदकों ने स्वीकारा की 1 सप्ताह के अंदर आवेदिका को एक मकान देंगे। एक अन्य प्रकरण आवेदिका ने बताया कि अनावेदकगणों द्वारा 2018 से उन्हें समाज से बहिष्कृत किया है, क्योंकि उसने पीपल पेड़ की डंगाल काटी थी।

सामाजिक बहिष्कार के कारण आवेदिका का गांव व समाज में आना-जाना प्रतिबंधित है। उभय पक्ष को समझाईश देने पर अनावेदक पक्ष सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने तैयार हुए। सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने की घोषणा गांव व समाज के मध्य की जायेगी। आयोग की ओर से आयोग की टीम सुलहनामा के लिए ग्राम जुलुम(टेकारी) पहुंचेंगे, जहां अनावेदक सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने की घोषणा करेंगे। अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि आवेदिका से विवाह के बाद उसके पति ने उसके पुराने रिकॉर्ड निकालकर उसका

चारित्रिकहनन का प्रयास किया। जिससे उनके विवाह में समस्या पैदा हुई। उभय पक्षों की काउंसलिंग अधिवक्ता द्वारा कराया गया। उभय पक्ष को अपने सुलहनामें की शर्तों पर विचार करने का अवसर दिया गया साथ ही सलाह दिया गया कि वह अगली सुनवाई में ठोस प्रस्ताव के साथ उपस्थित हो, ताकि अंतिम निर्णय लिया जा सके। एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक(पति) उसे शराब के नशे की हालत में बुरी तरह मारता-पीटता है और पिछले 06 माह से आवेदिका को घर से निकाल दिया है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक (पति) ने आवेदिका को एकमुश्त 3 लाख रू. भरण-पोषण देना स्वीकार किया है।

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