सर्वदलीय सिख समन्वय समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से बुधवार को मुलाकात की और उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सिख समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा।
सुश्री हरमिलन कौर तथा मनमीत कौर के नेतृत्व में एपीएससीसी प्रतिनिधि मंडल ने कल श्रीमती मुर्मु से मुलाकात की और उनके समक्ष केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से इस समुदाय के साथ पक्षपात तथा अनदेखी किए जाने के मुद्दे को उठाया।
प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन में कहा, “हम लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पर्याप्त प्रतिनिधित्व और भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु सिख अल्पसंख्यकों के लिए राजनीतिक आरक्षण की मांग करते हैं।”
राष्ट्रपति जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर हैं। प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन के माध्यम से श्रीमती मुर्मु को बताया कि कश्मीर घाटी में करीब 80,000 सिख रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर दूरस्थ क्षेत्र में रहते हैं। वहीं 2.70 लाख सिख जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी तथा ग्रामीण इलाके में रहते हैं।
ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश में अशांति के दौरान सैकड़ों सिखों ने अपनी जान गंवाई और भयावह घटनाओं का सामना किया है। इसके बावजूद समुदाय दृढ़तापूर्वक घाटी के सभी जिलों में अपने पैतृक घरों में रहा है।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा, “ सिख समुदाय ने बहुसंख्यक समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ शांतिपूर्ण अस्तित्व के लिए लगातार प्रयास किया है।” ज्ञापन में कहा गया है कि आतंकवादियों ने कई सिक्खों को अपना गांव छोड़ कर श्रीनगर पलायन करने के लिए धमकी दी है।
ज्ञापन में कहा गया है, “विस्थापन ने हमारी आर्थिक ताकत को काफी कमजोर कर दिया है, जिससे समुदाय असुरक्षित हो गया है।”
ज्ञापन में कहा गया, ““माननीय राष्ट्रपति हम आपके सम्मानित कार्यालय और हमारे लोकतंत्र के वादे पर भरोसा करते हैं। हम इन मामलों पर आपके तत्काल ध्यान देने और जम्मू-कश्मीर में सिख समुदाय के अधिकारों और योगदान को मान्यता देने वाली न्यायसंगत नीतियों के कार्यान्वयन की आशा करते हैं।’