रायपुर। महालेखाकार(CAG) ने लंबे समय बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। यह प्रतिवेदन वर्ष-2016 से 2022 तक की अवधि का है। प्रतिवेदन में कई गड़बड़ियों को सार्वजनिक किया गया है। CAG की यह रिपोर्ट प्रदेश के पंचायत और नगरीय निकायों के कामकाज पर केंद्रित है।
EWS की आड़ में कॉलोनाइजर्स को पहुंचाया लाभ
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने वित्त आयोग के सुझाव के विपरीत शहरी स्थानीय निकायों को कम बजट आबंटित किया। यही नहीं, कचरे का निपटारा भी सही ढंग से नहीं किया गया और वैकल्पिक स्थल पर EWS के लिए हस्तांतरित की गई जमीन का मूल्य कम होने के कारण कॉलोनाइजर को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
महालेखाकार के प्रतिवेदन में बताया गया कि शहरी स्थानीय निकायों के कुल संसाधनों में स्वयं के राजस्व का हिस्सा वर्ष-2016 से 2021-22 के दौरान 16 से 19 फीसदी रहा। इस तरह 6 वर्षों की अवधि में शहरी स्थानीय निकाय का खुद का राजस्व स्थिर रहा।
गोधन न्याय योजना का साइड इफेक्ट
स्थानीय निकायों में कचरे के मानवबल के बिना इस सुविधा को गौधन न्याय योजना के साथ साझा करने के कारण कचरे के संग्रहण, पृथककरण और प्रसंस्करण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। योजना और जरूरत के बिना बुनियादी ढांचे, वाहनों का विकास और खरीदी के फलस्वरूप सुविधाएं निष्क्रिय हो गई। और 369 करोड़ 98 लाख रूपये की फिजूलखर्ची हुई है।
प्रचार-प्रसार का खर्च स्वच्छ सर्वेक्षण में किया
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्वच्छता को लेकर लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से राज्य में सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों में जो खर्च किया जाना था उसे मुख्य रूप से स्वच्छ सर्वेक्षण को बढ़ावा देने में किया गया।
ठेकेदार को किया करोड़ों का अतिरिक्त भुगतान
इस प्रतीवेदन में बताया गया है कि नगर पालिक निगम कोरबा द्वारा एक ठेकेदार को प्री-स्ट्रेस्ड सीमेंट कंक्रीट पाइप्स का उपयोग किये जाने पर भी प्री-कास्ट कंक्रीट पाइप्स के लिए लागू उच्च दरों पर भुगतान किये जाने के परिणामस्वरूप ₹ 7.88 करोड़ का अधिक भुगतान किया गया।
वैकल्पिक स्थल पर ईडब्ल्यूएस के लिए हस्तांतरित की गई भूमि का मूल्य कम होने के कारण कॉलोनाइजर को ₹ 1.54 करोड़ का अनुचित वित्तीय लाभ पहुंचाया गया।
कोरबा नगरपालिक निगम द्वारा भूमि की अनुचित दर उपयोग किए जाने के कारण तीन कॉलोनाइजरों से भूमि के बदले में ₹ 75.77 लाख के शुल्क की कम वसूली की गई और उन्हें लाभ पहुंचाया गया।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की अनदेखी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए निगरानी और मूल्यांकन तंत्र प्रभावी नहीं था। यद्यपि राज्य स्तरीय सलाहकार बोर्ड (SLB) का गठन किया गया था, किन्तु एसएलएबी की सिफारिशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित नहीं किया गया। आगे यह भी देखा गया कि, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड (CECB) द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों की आवधिक समीक्षा नहीं की गई। फलस्वरूप, सीईसीबी द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी गई वार्षिक रिपोर्ट में राज्य में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की कमियों का उल्लेख नहीं किया गया।
पंचायतों को कम बजट का आबंटन
CAG द्वारा पंचायती राज संस्थाओं का भी ऑडिट किया गया। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2017-18 से 2021-22 के दौरान राज्य सरकार ने राज्य वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित निधि के हस्तांतरण के विरुद्ध पंचायती राज संस्थायों को कम बजट आवंटित किया था।
लेखापरीक्षा में पाया गया कि पंचायती राज संस्थाओं द्वारा निर्धारित प्रारूप में खाते नहीं रखे गए थे। महालेखाकार (लेखापरीक्षा) ने 2016-22 की अवधि के दौरान पंचायती राज संस्थायों की 251 इकाइयों का लेखापरीक्षा किया। इस अवधि में कुल 2925 आपत्तियां जारी की गयी, जिनमें से 1039 लेखापरीक्षा आपत्तियों का ही निराकरण हो सका इसके परिणामस्वरूप मार्च 2022 तक कुल 4301 लेखापरीक्षा आपत्तियां लंबित थी, जिसमें से 2,415 आपत्तियां वर्ष 2016-17 से पहले की अवधि से संबंधित थी।
