कथित ऑडियो में सुकमा जिले से चिन्नई में फंसे मजदूरों की स्तिथि स्पष्ट करे सरकार-संजय

प्रादेशिक मुख्य समाचार

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने प्रदेश के आबकारी मंत्री के वायरल हो रहे कथित ऑडियो को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कथित वायरल ऑडियो से आरएसएस पर सवाल उठाने और निःस्वार्थ सेवा पर प्रश्न करने वालों की भाषा की मर्यादा और गरीब मजबूर मजदूरों की मजबूरी का मजाक उड़ाने वाला असली चेहरा उजागर होता है। श्री श्रीवास्तव ने आबकारी मंत्री कवासी लखमा से सामने आकर कथित ऑडियो पर स्पष्टीकरण देने और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस मामले की निष्पक्ष जाँच की मांग की है। उन्होंने वायरल कथित ऑडियो में सुकमा जिले से चिन्नई में फंसे 40-45 मजदूरों की स्तिथि स्पष्ट करने और उन्हें हर सम्भव मदद पहुंचाने की भी मांग की है।
भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने जारी बयान में कहा है कि कोरोना महामारी के बीच प्रवासीय मजदूर भाईयों और बहनों को लेकर हम सभी चिंतित है। उन्हें घर पहुंचाने एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने पूरी संवेदनशीलता के साथ हर संभव प्रयास कर रहे है। विपत्ति के समय में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जी भी प्रवासी मजदूरों को लेकर अपनी गंभीरता का बखान डॉक्यूमेंट्री जारी कर, कर चुके है। ऐसे में कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ के मंत्री का ऐसा कथित ऑडियो वायरल होना दुर्भाग्यजनक ही नहीं अपितु शर्मसार करने वाला है। कथित ऑडियो में मंत्री जी द्वारा प्रदेश के मजदूर जो चिन्नई में फसें है के साथ दुर्व्यवहार किया जाना, श्रमिको के लिए अपशब्दों, अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जाना, उनकी गरीबी का मजाक उड़ाना कौनसी डॉक्यूमेंट्री है यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को जनता के सामने स्पष्ट करना चाहिए। भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस कथित ऑडियो की निष्पक्ष जांच करवाने एवं आबकारी मंत्री का स्पष्टीकरण लनेे और यदि कथित ऑडियो सही है तो उनसे माफ़ी मंगवाकर इस्तीफ़ा लेने की भी मांग की है।
संजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह गंभीर विषय है इससे देश भर में गलत संदेश जा रहा है। 15 वर्षों के भाजपा शासन में शांत संवेदनशील छत्तीसगढ़ का नाम धूमिल हो रहा है। इससे मजदूरों पर डॉक्यूमेंट्री जारी करने वाले राहुल जी और 70 वर्षों तक पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ लगातार गरीबी हटाने का वादा करने वाली कांग्रेस पार्टी पर भी सवाल उठ रहे है। यह दुर्भाग्यजनक है और प्रदेश की सत्ताधारी दल के हित में भी नहीं है । इसलिए दूध का दूध और पानी का पानी होना आवश्यक है।

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