रायपुर। छत्तीसगढ़ की शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की छवि पर बड़ा दाग लगा है। पिछले पांच से सात सालों में जीआरपी के जवानों और अधिकारियों द्वारा संगठित रूप से गांजे की तस्करी का बड़ा रैकेट चलाए जाने का खुलासा हुआ है। जांच में करोड़ों रुपए के लेनदेन और कई राज्यों में नेटवर्क फैलाने की जानकारी सामने आई है।
डीजीपी ने जांच सौंपी, बड़े अधिकारियों की भूमिका पर सवाल
मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी अशोक जुनेजा ने जांच की जिम्मेदारी बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह को सौंपी है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि जीआरपी के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इस अवैध धंधे से करोड़ों रुपए कमाए।
खुफिया विभाग की जांच में हुआ पर्दाफाश
खुफिया पुलिस को जीआरपी जवानों के रैकेट के बारे में सूचना मिली थी। इंटेलिजेंस चीफ अमित कुमार ने सात अधिकारियों की टीम बनाकर तीन महीने तक हावड़ा-मुंबई और वाल्टेयर लाइन पर निगरानी रखी। इस दौरान करीब ढाई सौ ट्रेनों में गुप्तचरों ने सफर कर जानकारी जुटाई। रिपोर्ट के बाद चार जवानों को गिरफ्तार किया गया है।
15 करोड़ का संदिग्ध लेनदेन
जांच के दौरान जीआरपी के 45 बेनामी खातों का पता चला, जो जवानों के नाते-रिश्तेदारों के नाम पर खोले गए थे। इन खातों में 15 करोड़ रुपए का लेनदेन सामने आया है। माना जा रहा है कि यह धन गांजे की तस्करी से प्राप्त हुआ था।
कई राज्यों तक फैला नेटवर्क
जांच में खुलासा हुआ कि जीआरपी के जवान ट्रेनों में गांजा जब्त कर उसे बेचने का धंधा करते थे। 2018 के बाद उन्होंने खुद का रैकेट बनाकर उड़ीसा से गांजे की खरीद शुरू कर दी। यह नेटवर्क उड़ीसा, झारखंड, महाराष्ट्र और कोलकाता तक फैला था। वर्दी का फायदा उठाकर इन लोगों ने धंधे को विस्तार दिया और पकड़े जाने के डर से बेफिक्र रहे।
शीर्ष अधिकारियों का संरक्षण
तस्करी में मिले पैसों का बड़ा हिस्सा शीर्ष अधिकारियों तक पहुंचने की बात सामने आई है। यहां तक कि एक आईपीएस अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।
एसपी रजनेश सिंह का बयान
एसपी रजनेश सिंह ने बताया कि जीआरपी के गांजा तस्करी रैकेट से जुड़े गंभीर सबूत मिले हैं। कोलकाता से एक ड्रग पैडलर को गिरफ्तार किया गया है, जो जीआरपी के सरकारी निवास में ठहरता था। उन्होंने बताया कि विस्तृत रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को सौंपी जाएगी।
मामले की गंभीरता बढ़ी
इस खुलासे के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस की छवि पर सवाल उठे हैं। अब तक की जांच से साफ है कि जीआरपी के जवानों और अधिकारियों ने कानून की आड़ में इस काले धंधे को बढ़ावा दिया। मामले में और भी बड़े नाम सामने आने की संभावना है।