जी-20 सदस्यों की जिम्मेदारी कि वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश प्रक्रियाओं में विश्वास करें बहाल-मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि महामारी से लेकर भू-राजनीतिक तनाव तक मौजूदा वैश्विक चुनौतियों ने विश्व अर्थव्यवस्था की परीक्षा ली है और जी-20 देशों के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश में विश्वास का पुनर्निर्माण करें।
श्री मोदी गुरुवार को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से वीडियो लिंक के माध्यम से राजस्थान की राजधानी जयपुर में आयोजित जी-20 व्यापार और निवेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जी-20 सदस्यों की एक परिवार के रूप में सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश प्रक्रियाओं में विश्वास बहाल करें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वैश्विक व्यापार प्रणाली को धीरे-धीरे अधिक प्रतिनिधिक और समावेशी भविष्य में परिवर्तित करने को सुनिश्चित करने के लिए कार्य समूह सामूहिक रूप से आगे बढ़ेगा।
प्रधानमंत्री अपने संबोधन में गुलाबी शहर की जनता का गर्मजोशी से स्वागत किया और कहा कि यह क्षेत्र अपने गतिशील और उद्यमशील लोगों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि व्यापार ने विचारों, संस्कृतियों और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है, साथ ही इतिहास गवाह है कि यह लोगों को निकट लाया है।
श्री मोदी ने कहा कि व्यापार और वैश्वीकरण ने करोड़ों लोगों को अत्यंत गरीबी से बाहर निकाला है। उन्होंने कहा कि आज भारत को खुलेपन, अवसरों और विकल्पों के मेल के रूप में देखा जाता है। उन्होंने कहा “सरकार के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत पिछले नौ वर्षों के दौरान पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गया है। हमने 2014 में सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन” की यात्रा शुरू की।”
प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए बढ़ती प्रतिस्पर्धात्मकता और बढ़ी हुई पारदर्शिता, डिजिटलीकरण के विस्तार और नवाचार को बढ़ावा देने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत ने समर्पित माल ढुलाई गलियारे स्थापित किए हैं और औद्योगिक क्षेत्र बनाए हैं। श्री मोदी ने कहा “हम लाल फीताशाही से रेड कार्पेट और उदारीकृत एफडीआई प्रवाह की ओर बढ़ गए हैं।” उन्होंने विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों और देश में नीतिगत स्थिरता का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि सरकार अगले कुछ वर्षों में भारत को तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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