ग्रामोद्योग बन गया ग्रामीण महिलाओं के जीवनयापन का जरिया

प्रादेशिक मुख्य समाचार

छत्तीसगढ़ राज्य में ग्रामोद्योग को ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने अपने जीवनयापन का जरिया बनाया है। हाथकरघा संघ द्वारा महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ी 7000 महिलाओं को गणवेश सिलाई के माध्यम से नियमित रूप से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। स्व-सहायता समूह से जुड़ी बुनकर महिलाओं ने कोरोना संकट और लॉकडाउन की विषम परिस्थिति को भी अपने हुनर और हौसले से लाभ के अवसर में बदल दिया है। समूह की 7000 बुनकर महिलाओं ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए बाजार में मास्क की डिमांड को देखते हुए सूती कपड़े का अच्छी क्वॉलिटी का 3 लाख 80 हजार मास्क तैयार किया। महिलाओं द्वारा तैयार किए गए मास्क की सप्लाई विभागों और संस्थाओं को की गई। दो माह की अवधि में बुनकर महिलाओं ने लगभग 76 लाख का व्यवसाय किया। बुनकर महिलाओं ने अपने लाभांश राशि में से एक लाख 45 हजार 303 रूपए की राशि का चेक मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए और 1500 नग मास्क भेंट कर कोरोना की लड़ाई में अपनी अनुकरणीय सहभागिता निभाई हैं।
राज्य में हाथकरघा के माध्यम से वस्त्रों की बुनाई में जुटीं महिला स्व-सहायता समितियों एवं बुनकर समितियों ने लॉकडाउन की अवधि में 7 करोड़ 65 लाख रुपए से अधिक का कारोबार किया है। हाथकरघा संघ द्वारा 12 हजार 600 हाथकरघों के माध्यम से प्रदेश के 37 हजार बुनकर परिवारों को वर्ष भर रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।
खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार मूलक कार्यक्रम के अंतर्गत 661 इकाईयों की स्थापना किया जाना प्रस्तावित है। इनके जरिए 6 करोड़ 94 लाख 83 हजार रुपए का अनुदान वितरित कर 3965 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा खादीग्राम बोर्ड द्वारा महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से खादी वस्त्रों के मास्क और हर्बल साबुन का निर्माण किया जा रहा है। लॉकडाउन की अवधि में समूह की महिलाओं द्वारा 80 हजार मास्क का तैयार कर विभिन्न विभागों को प्रदाय किया गया है।
रेशम प्रभाग द्वारा इस कोरोना काल में विभिन्न जिलों के कोसा प्रशिक्षण केन्द्रों में नर्सरी एवं पौधारोपण का कार्य के माध्यम से 695 हेक्टेयर क्षेत्र में मनरेगा के तहत रोजगार सृजन का कार्य किया जा रहा हैै। इससे रेशम प्रभाग द्वारा 2.89 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन हुआ है। रेशम धागाकरण कार्य में जुटीं महिला हितग्राहियों 3 करोड़ 5 लाख रुपए की लागत से कुल 2500 नग मशीनें वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित है। राज्य के 67 रेशम केंद्रों में कीटपालन के साथ-साथ 91 स्व-सहायता समूहों की 1461 महिलाओं को अतिरिक्त आय का साधन उपलब्ध कराया जाएगा। ग्रामोद्योग विभाग के हस्तशिल्प बोर्ड द्वारा वर्तमान में 26 हजार शिल्पियों को उनके निवास में ही उन्हें प्रशिक्षण एवं टूल किट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। शिल्पियों द्वारा निर्मित सामग्रियों की मार्केटिंग हस्तशिल्प विकास बोर्ड स्वयं कर रहा है, ताकि शिल्पियों को मार्केटिंग के लिए भटकना न पड़े। हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा जॉब वर्क संग्रहण योजना अंतर्गत 37 बांस शिल्पी परिवारों से दो हजार नग बैंबू ट्री-गार्ड तैयार कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इसी कड़ी में माटीकला बोर्ड द्वारा 22 हजार शिल्पियों से उनके घरों में ही मटका, कलसी, कप, प्लेट, इत्यादि तैयार कराकर मार्केटिंग की व्यवस्था की गई है। माटीकला बोर्ड शिल्पियों को इलेक्ट्रॉनिक चाक भी प्रदाय कर रहा है, ताकि इनकी आमदनी बढ़े। शिल्पियों से लस्सी का गिलास, मिठाई की कटोरी आदि का निर्माण कराकर होटलों को आपूर्ति किए जाने की योजना है।

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