रायगढ़। रायगढ़ के लोकल ट्रांसपोर्टरों ने एनटीपीसी की साख को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। किसी भी कीमत पर फ्लाई एश का यूटीलाइजेशन करने की मजबूरी ही कंपनी के गले का फंदा बन गई है। बार-बार आंदोलन करके पहले पूरा सिस्टम अपने हाथ में ले लिया गया है। अब पता चला है कि गाड़ी का एश डाइक में घुसते समय अलग नंबर होता है। बाहर निकलते ही ओरिजिनल नंबर प्लेट लगा दी जाती है। एनटीपीसी लारा पावर प्लांट में अभी 800-800 मेगावाट की दो यूनिट चल रही हैं। ऐसी तीन नई यूनिट और आने वाली हैं। दो यूनिट से निकल रहे फ्लाईएश को यूटीलाइज करने के लिए कंपनी ने एनएचएआई से एग्रीमेंट किया है। परिवहन का ठेका छह कंपनियों को दिया गया है।
पहले राजस्थान का नवकार ट्रांसपोर्ट और मोदी कंस्ट्रक्शन भी यह काम कर रहे थे। अब श्रीनिवास ट्रांसपोर्ट, आरएम ट्रांसपोर्ट, जगदीश टेक्नो, रेफेक्स ट्रांसपोर्ट यह काम कर रहे हैं। लोकल ट्रांसपोर्टरों ने इस काम पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया है। आंदोलन करके इस काम को पूरी तरह बंद करवा दिया गया, जब उनकी गाडिय़ों को ही इसमें लगाने का समझौता हुआ तो आंदोलन भी खत्म हो गया। एश डाइक में जिस तरह से खेल हो रहा है, उससे हर कोई हैरान है। उदाहरण के लिए सीजी 13 नंबर की कोई गाड़ी 1234 एश डाइक से एक दिन लोड होकर दुर्ग के लिए निकली। अब यह गाड़ी डिलीवरी प्वाइंट पर पहुंचकर, अनलोड होने के बाद रायगढ़ वापस आती है तो एक दिन गुजर जाता है। अब यह गाड़ी दूसरे दिन ही वापस लोड होने पहुंचेगी, लेकिन ट्रक में लोड फ्लाईएश को पास में ही कहीं खाली करके उसी दिन पांच घंटे में लोडिंग प्वाइंट पर पहुंचा दिया जाता है। गाड़ी का नंबर बदलकर 4321 कर जाता है। गाड़ी में एश लोड करने के बाद जब बाहर निकलती है तो ओरिजिनल नंबर प्लेट लगा दी जाती है।
अपनी शर्तों पर कर रहे अवैध काम
एनटीपीसी के एश डाइक में स्थानीय ट्रांसपोर्टरों के ग्रुप ने एकाधिकार कर लिया है। ठेका कंपनियां इनकी बात नहीं सुनती तो फिर आंदोलन, विरोध प्रदर्शन, शिकायत कर दी जाती है। ऐसा ही पिछले कुछ महीनों में किया गया। पहले दबाव बनाया गया कि एनटीपीसी में छग से बाहर की गाडिय़ां नहीं चलेंगी। फिर दबाव बनाया गया कि सिर्फ सीजी 13 नंबर वाली गाड़ी ही चलेगी। उसमें भी रेट उन्हीं का चलेगा। डील हुई तो अब गाड़ी यहीं खाली की जा रही है।
रायपुर में पकड़ी गई बिना फिटनेस, बीमा की गाड़ियां
एनटीपीसी एक एश डाइक से दुर्ग जा रही करीब 20 गाडिय़ों को रायपुर के पास तेलीबांधा पुलिस ने पकड़ा था। इनमें फिटनेस, बीमा, रजिस्ट्रेशन ही नहीं था। संभव है कि फर्जी नंबर प्लेट लगाकर गाड़ी चल रही हो। ड्राइवरों के पास ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं मिला। गाडिय़ां ओवरलोड थीं और ड्राइवर नशे में थे। बताया जा रहा है कि वाहन किसी सोनू और मोनू के थे। यह भी बताया गया है कि आरटीओ को हर महीने रुपए दिए जाते हैं, ताकि उन पर कार्रवाई न हो। सवाल यह है कि रायपुर में गाडिय़ां पकड़ी गई लेकिन रायगढ़ से कैसे आसानी से निकल गईं।
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