निलंबित पैनल लायर्स ने राज्य शासन से जांच की मांग की , पूर्व महाधिवक्ता के बयानों को गलत बताया

छत्तीसगढ़

बाद इन8 पैनल लायर्स ने राज्य शासन व् एजी से सम्पूर्ण मामले की विस्तृत जांच की मांग की है !
पूर्व में पैनल लॉयर रहे अरविन्द दुबे छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता कनक तिवारी के तथ्यों पर स्थिति स्पष्ट किया है। उन्होंने तिवारी द्वारा जारी नियुक्ति के संबंध में तथ्यों और बयानों को गलत बताया है। खुद को प्रभावित पैनल लायर्स बताते हुए अरविंद दुबे, महेश कुमार मिश्रा, लव कुमार शर्मा, एसआरजे जायसवाल, आदित्य शर्मा, राजकुमार जायसवाल, विजय बहादुर सिंह ने बयान जारी करते हुए बताया है कि हमारे निलंबन का आदेश28 -2 -2019 को जारी हुआ और हमसे11 -3 -2019 तक कार्य लिया गया ! यदि कार्य असंतोष जनक था तो निलंबन की अवधि में कार्य क्यों कराया गया !
पूर्व महाधिवक्ता तिवारी का यह दावा पूरी तरह गलत व भ्रामक है जिसमें उन्होंने कहा है कि आठ पैनल लायर्स के खिलाफ संतोषजनक रूप से कार्य नहीं किया जा रहा था या वे कार्य में अरुचि रखते थे। जबकि सही तथ्य यह है कि ऐसी कोई शिकायत नहीं हुई थी। इस बात की पुष्टि इस तथ्य से होती है कि पैनल लायर्स के निलंबन का आदेश 28 फरवरी को जारी किया गया था और सभी निलंबित पैनल लायर्स से 11 मार्च तक कार्य लिया गया। पैनल लायर्स का कहना है कि 8 पैनल लायर्स का कार्य असंतोषजनक था तो उनसे निलंबन की अवधि में कार्य क्यों लिया गया?
पूर्व महाधिवक्ता का यह दावा भी गलत है कि उन्हें 15 दिनों के लिए कार्य से पृथक रखा गया था। सही तथ्य यह है कि निलंबन के तुरंत बाद आक्रोशित पैनल लायर्स के द्वारा उनको निलंबन आदेश की वैधता, महाधिवक्ता की आदेश जारी करने की अधिकारिता और झूठे शिकायत के संदर्भ में विधिक नोटिस दिया गया। नोटिस मिलने के बाद तिवारी ने 13 मार्च को सभी 8 पैनल लायर्स को कार्य में वापस रख लिया था। पूर्व , महाधिवक्ता तिवारी ने नोटिस वापस लेने के लिए और माफी मांगने के लिए पैनल लायर्स को धमकी व दबाव डाला था। पैनल लायर्स ने दावा किया है कि पूर्व महाधिवक्ता का वह दावा भी तथ्य के विपरीत है कि उन्हें पैनल लायर्स को निलंबित करने का अधिकार है। तथ्य यह है कि नियुक्तिकर्ता ही नियोक्ता के कार्य के संबंध में निर्णय लेने का अधिकारिता रखता है। पैनल लायर्स के नियुक्ति आदेश राज्य शासन के विधि एवं विधायी विभाग के द्वारा जारी किया जाता है, न कि महाधिवक्ता के द्वारा। पूर्व महाधिवक्ता ने अपने अधिकारिता का उल्लंघन कर पैनल लायर्स को निलंबित किया और उनके स्थान पर 8 पैनल लायर्स की नियुक्ति की है। इन सभी मामलों में पैनल लायर्स ने महाधिवक्ता और राज्य शासन से जांच मांग की है।

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