आदिवासी बाहुल्य प्रदेश ‘छत्तीसगढ़’ की कमान आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को सौंपे जाने का जबसे सार्वजनिक ऐलान हुआ है, छत्तीसगढ़िया फूले नहीं समा रहे हैं। खुश होना वैसे बनता भी है, आखिर इतने वर्षों बाद उनकी ख्वाहिशें पूरी जो हुई हैं। स्थानीय लोग शुरू से चाहते थे कि कोई आदिवासी समाज का व्यक्ति ही प्रदेश का मुख्यमंत्री बने। ऐसा व्यक्ति जो 33 फीसदी आदिवासी समाज का चहेता हो और सामाजिक समूह को लेकर साथ चले। लंबे राजनीतिक अनुभव के अलावा पहचान जमीनी स्तर की हो। ऐसा राजनेता जो उनके बीच सदैव रहा हो। फिलहाल, ये सभी खूबियां विष्णुदेव साय में आकर सिमट जाती हैं। विष्णुदेव प्रदेश के सर्वमान्य नेताओं में गिने जाते हैं। यही कारण है कि आदिवासी समुदाय चाहे कांगेस से ताल्लुक रखता हो, या अन्य किसी और सियासी दल से, सभी विष्णुदेव की नियुक्ति से खुश हैं। छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से जकड़ा हुआ है, सभी चाहते हैं कि उन बंधक बेड़ियों से उन्हें कोई मुक्त करवाए।
विष्णुदेव बेदाग और ईमानदार नेता हैं। पंचायत से लेकर केंद्र तक की महत्वपूर्ण सियासी जिम्मेदारियां उन्होंने संभाली हुई हैं। साय बेशक सांसद बनकर केंद्र की राजनीति में पहुंच गए हों लेकिन उनका जुड़ाव स्थानीय स्तर पर कभी कम नहीं हुआ। गांव-कस्बों की टूटी नल-नालियों की परवाह हमेशा करते रहे। केंद्रीय मंत्री भी बने, लेकिन उनके भीतर से ग्राम प्रधान कभी नहीं निकला? वह इसलिए क्योंकि उनकी राजनीति की शुरुआत ही ग्राम प्रधानी से हुई। निश्चित रूप से साय जैसे जमीनी नेता अपने क्षेत्र, समुदाय और प्रदेश में नया इंकलाब लिखने का माद्दा रखते हैं। निश्चित रूप से वह अपने प्रयासों में सफल होने की कोशिश करेंगे। प्रदेश पर इस वक्त करीब 82,125 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके सिवाए महंगाई-बेरोजारी की स्थिति से तो सभी वाकिफ हैं ही, इन सभी चुनौतियों से भी विष्णुदेव को बड़े साहस से लड़ना होगा। हालांकि उन्हें केंद्र सरकार का साथ भरपूर मिलेगा क्योंकि डबल इंजन की सरकार में प्रयासों में गति आना स्वाभाविक होता है।
बहरहाल, छत्तीसगढ़ की 33 फीसदी आदिवासी समुदाय के लिए विष्णुदेव मात्र मुख्यमंत्री ही नहीं बनेंगे, बल्कि वो उनके उम्मीदों को पूरा करने वाले नायक भी बनेंगे। जो प्रदेश गठन के बाद अभी तक पूरी नहीं हुई। प्रदेशवासियों की शुरू से मांग रही है कि उनका मुख्यमंत्री उन्हीं के बीच का हो, ताकि उनकी जरूरतों और समृद्ध विरासतों को आगे बढ़ा सके। ऐसे लक्ष्यों को पूरा करने में विष्णुदेव फिलहाल फिट बैठते दिखाई पड़ते हैं। क्योंकि उन्होंने अपने राजनीति कॅरियर से लोगों के बीच वैसी ही छाप छोड़ी है। तभी, चुनाव कैंपेन के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने वोटरों को इशारा भी किया था कि विष्णुदेव को बड़ा आदमी बनाएंगे, उनके लिए कुछ बड़ा सोचा हुआ है। हालांकि, तब लोगों ने उनकी बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया था, सोचा कि चुनावों में नेता बहुत कुछ बोलकर चले जाते हैं। पर, इतना नहीं भूलना चाहिए कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह अलग किस्म की गारंटी देते हैं। जहां से लोग सोचना बंद कर देते हैं, ये जोड़ी वहीं से सोचना आरंभ करती है। श्रीमती द्रौपदी मुमू को जब राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया गया था, तभी आदिवासी समाज समझ गया था कि कोई तो है जो उनके विषय में सोचता है।