वर्तमान में देश के 38 जिले वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान 60 जिलों को वामपंथी उग्रवाद के दुष्प्रभाव से मुक्त कराया गया है। इन जिलों की राज्यवार विस्तृत सूची अनुलग्नक-I में दी गई है।
भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य सरकार के विषय हैं। हालांकि, भारत सरकार वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित राज्यों के प्रयासों में सहायता प्रदान करती रही है। वामपंथी उग्रवाद की समस्या से समग्र रूप से निपटने के लिए, 2015 में “वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से निपटने हेतु राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना” को मंजूरी दी गई थी। इसमें सुरक्षा संबंधी उपाय, विकासपरक वहलें, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों आदि को शामिल करते हुए एक बहु-आयामी कार्यनीति की परिकल्पना की गई है। सुरक्षा के मोर्चे पर, भारत सरकार केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की बटालियनों, राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए प्रशिक्षण एवं निधियों, उपकरण और हथियारों, खुफिया जानकारी साझा करना, फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों का निर्माण आदि का प्रावधान करके एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों की सहायता करती है, वहीं विकास की दृष्टि से, प्रमुख योजनाओं के अलावा, भारत सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में कई विशिष्ट पहल की हैं, जिनमें सड़क नेटवर्क के विस्तार, दूरसंचार कनेक्टिविटी में सुधार, कौशल और वित्तीय समावेशन पर विशेष जोर दिया गया है।
पिछले 05 वर्षों यानी 2019-20 से 2023-24 के बीच विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस), सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) और विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजनाओं के अंतर्गत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों की क्षमता निर्माण के लिए 4350.78 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, वामपंथी उग्रवाद प्रबंधन हेतु केंद्रीय एजेंसियों को सहायता (एसीएएलडब्ल्यूईएम) योजना के तहत पिछले 05 वर्षों (2019-20 से 2023-24) के दौरान हेलीकॉप्टरों और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा शिविरों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए केंद्रीय एजेंसियों को 560.22 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
विकास की दृष्टि से कई विशिष्ट पहलें की गई हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क के विस्तार के लिए अब तक 14529 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया है।
दूरसंचार कनेक्टिविटी सुधार के लिए 6524 टावर लगाए गए हैं।
वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में स्थानीय लोगों के वित्तीय समावेशन के लिए 5731 डाकघर खोले गए हैं। इसके अलावा, वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित 30 जिलों में 1007 बैंक शाखाएं और 937 एटीएम खोले गए हैं।
कौशल विकास के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में 46 आईटीआई और 49 कौशल विकास केंद्र (एसडीसी) कार्यरत हैं।
वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में जनजातीय समुदायों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में 178 एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल (ईएमआरएस) कार्यात्मक बनाए गए हैं।
सिविक एक्शन प्रोग्राम के अंतर्गत, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में तैनात केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी) स्थानीय लोगों के कल्याण और युवाओं को माओवादियों के प्रभाव से दूर रखने के लिए विभिन्न सिविक कार्यकलापों का आयोजन करते हैं।
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों के जनजातीय युवाओं तक पहुंच बनाने के लिए नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) के माध्यम से जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम (टीवाईईपी) आयोजित किए जा रहे हैं।
नीति के दृढ़ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप, हिंसा में कमी और भौगोलिक विस्तार के संकुचन दोनों के संदर्भ में वामपंथी उग्रवाद के परिदृश्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 2010 की तुलना में 2023 में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसक घटनाओं की संख्या में 73 प्रतिशत की कमी आई है। परिणामी मौतों (सुरक्षा बल+सिविलियन) की संख्या भी 2010 के 1005 से घटकर 2023 में 138 हो गई है, जोकि 86 प्रतिशत की कमी है। वामपंथी उग्रवाद परिदृश्य में सुधार के कारण, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या अप्रैल 2018 में 126 से घटकर 90 हो गई। जुलाई 2021 में 70 तथा अप्रैल 2024 में और घटकर 38 हो गई है
