बस्तर में चुनाव जीतने भाजपा का जी तोड़ प्रयास

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रायपुर. छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों के लिए भले ही भाजपा प्रत्याशी अलग-अलग हो, लेकिन सभी सीटों पर एक ही चेहरा है ‘मोदी’. मोदी का चेहरा ही छत्तीसगढ़ में भाजपा प्रत्याशियों का चेहरा है और इसी चेहरे की चर्चा चुनाव में ‘मोदी मैजिक’ के रूप में हो रही है. मोदी है तो मुुमकिन है, गांरटी मतलब मोदी, मोदी मतलब देश, देश मतलब राष्ट्र, राष्ट्र मतलब भाजपा का राष्ट्रवाद. ऐसे ही कई शब्दों के साथ भाजपा ने जनता के बीच चुनाव में एक नया शब्दावली तैयार कर रखा है, जिसे आप मोदी शब्दावली भी कह सकते हैं. क्योंकि भाजपा में हर चुनाव का मतलब ही मोदी हो चुका है, मोदी मैजिक हो चुका है. और इसी मोदी मैजिक का पहला चरण छत्तीसगढ़ में बस्तर से आज दिखा.

बस्तर जो दो हिस्सों में विभाजित है. एक दक्षिण बस्तर और दूसरा उत्तर बस्तर. दक्षिण बस्तर में बस्तर(जगदलपुर) लोकसभा शामिल है, जबकि उत्तर बस्तर में कांकेर लोकसभा. दक्षिण बस्तर में बस्तर, जगदलपुर, चित्रकोट, कोंडागांव, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और कोंटा विधानसभा शामिल हैं. इसी तरह से उत्तर बस्तर में कांकेर, केशकाल, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, सिहावा, डौंडीलोहारा, बालोद और गुंडरदेही विधानसभा शामिल हैं.

प्रधानमंत्री मोदी आज दोनों ही लोकसभा के मध्यक्षेत्र दक्षिण बस्तर के छोटे आमाबाल में प्रचार के लिए पहुँचे थे. छोटे आमाबाल नारायणपुर विधानसभा में आता है. इस विधानसभा से केदार कश्यप विधायक हैं. यह स्व. बलिराम कश्यप का इलाका है. बस्तर में भाजपा को स्थापित करने वाले नेता बलिराम कश्यप रहे, जिन्हें क्षेत्र में बलि दादा के नाम से जाना जाता था. स्व. बलिराम कश्यप बस्तर में कई बार के सांसद रहे. उनके बेटे दिनेश कश्यप भी सांसद रहे. उनके बेटे केदार कश्यप साय सरकार में मंत्री हैं. एक तरह से बस्तर में कश्यप परिवार का राज रहा है और आज भी है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने भाषण में कई बार स्व, बलिराम का जिक्र किया. उन्होंने पुरानी यादों को जनता के बीच साझा भी किया. उन्होंने कहा कि बस्तर क्षेत्र में बलिराम जी के साथ कई यात्राएं की है. विकसित बस्तर, नक्सल मुक्त बस्तर का उनका जो सपना रहा उसे हम पूरा करने की ओर तेजी से आगे बढ़ चुके हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने बस्तर के साथ-साथ कांग्रेस की रीति और नीति को लेकर भी निशाना साथा. उन्होंने राजनांदगांव में डॉ. चरणदास महंत की ओर से कहे गए ‘मोदी के मुड़ फोड़ने वाला आदमी चाहिए’ का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस वाले सिर फोड़ने की बात करते हैं, लेकिन मोदी किसी डरने वाला नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने भाजपा देश के लिए क्यों जरूरी यह बताने के लिए कई गारंटियों की बात, वादों की बात, उपलब्धियों की बात की. कहा कि देश के विकास में छत्तीसगढ़ का अहम योगदान है. छत्तीसगढ़ियों का हर तरह से विकास हो इसके लिए हम संकल्पबद्ध हैं.

ये तो बात हुई मोदी के भाषण से लिए गए कुछ अंश की है. असल बात तो है मोदी मैजिक की. सवाल भी यही है कि क्या 2014, 2019 की तरह 2024 में भी मोदी मैजिक है ? क्या वाकई लोकसभा चुनाव में मोदी लहर है ? क्या मोदी मैजिक के सहारे ही भाजपा प्रत्याशियों की नैय्या पार होने जा रही है ? अगर ऐसा है तो फिर 2019 के चुनाव में बस्तर में भाजपा का कमल क्यों नहीं खिल पाया था ? यह सवाल भी मैजिक शब्द के बीच बना हुआ ? ऐसे कई सावलों के बीच दक्षिण बस्तर और उत्तर बस्तर में कांग्रेस और भाजपा के मुकाबले को देखा जाए तो प्रत्याशियों से कहीं ज्यादा चर्चा सच में मोदी मैजिक की होती है. इस मोदी मैजिक वाले प्रभाव में कहीं न कहीं भाजपा का पलड़ा भारी नजर आता है, क्योंकि दोनों ही सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों का जितना प्रभाव अपना व्यक्तिगत है, उतना ही प्रधानमंत्री मोदी का नाम और चेहरा भी.

दक्षिण बस्तर में भाजपा प्रत्याशी महेश कश्यप मैदान में हैं. महेश कश्यप का मुकाबला बस्तर के दिग्गज कांग्रेस नेता और 6 बार के विधायक कवासी लखमा से है. लखमा कितने मजबूत प्रत्याशी हैं इसकी चर्चा करने की जरूरत नहीं, लेकिन बस्तर में मौजूदा चुनावी समीकरण कवासी के पक्ष नहीं दिखता है. इसके पीछे बड़ा आधार 2023 का विधानसभा चुनाव का परिणाम भी है. बस्तर लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में भाजपा के पास 5 तो कांग्रेस के पास 3 सीटें हैं. जबकि 2019 के चुनाव के समय कांग्रेस के पास 8 में 7 सीटें थी. और उस समय कांग्रेस की राज्य में सरकार थी. लिहाजा कांग्रेस ने बस्तर में भाजपा को हरा दिया था. 2024 में हो रहे चुनाव के समय राज्य में भाजपा की सरकार है और सीटों के समीकरण के लिहाज से कांग्रेस से भाजपा आगे है. साथ ही मोदी मैजिक का प्रभाव तो है.

वैसे मुद्दों पर बात होती है तो बात नक्सलवाद, नगरनार स्टील प्लांट, निजीकरण, पलायन, रोजगार, कैंप, फर्जी मुठभेड़, नेताओं की हत्या, निर्दोष आदिवासियों की रिहाई की होती है, लेकिन इन सबके बीच जिन मुद्दों को भाजपा ज्यादा जोर देकर सभाओं में उठाती है उनमे- धर्मांतरण, आदिवासी संस्कृति और हिंदुत्व भी शामिल हैं और यह भी बहुत साफ है कि बस्तर के अंदर धर्मांतरण का मुद्दा आज आदिवासियों के बीच प्रभावशाली बन चुका है. इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने वाले बस्तर से प्रत्याशी महेश कश्यप और कांकेर से प्रत्याशी भोजराज नाग इलाके के अग्रणी नेता बन चुके हैं.

इस तरह अगर देखा जाए तो 19 अप्रैल को जो पहले चरण का चुनाव, जिसमें दक्षिण बस्तर की सीट शामिल है. एक तरह से मोदी मैजिक के अधीन है. छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक की राजनीतिक समीकरणों को समझने वाले जानकारों का यही मानना है कि बस्तर से छत्तीसगढ़ में यह मोदी मैजिक पहला चरण है. संभव है कि शेष 10 सीटों में भी पार्टी और पार्टी प्रत्याशियों को भी मोदी मैजिक का ही सहारा मिले. हालांकि अभी मतदान हुआ नहीं. और मतदान से पहले का आंकलन पूरी तरह से सटीक हो यह कहा नहीं जा सकता. फिर भी जो माहौल बन रहा है, दिख रहा है, या दिखाया जा रहा है, जनता के बीच ले जाया जा रहा है..वहां तो मोदी…मोदी…मोदी…मोदी है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है. पहले चरण के रण में मोदी के इस प्रभाव को कांग्रेस कैसे और कितना असरहीन बना पाएगी यह समय बताएगा. फिलहाल का समय जो दिख रहा है वह तो कुछ और ही है…

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