नई दिल्ली/रायपुर । शराब घोटाला कांड को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने अनवर ढेबर की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे वेकेशन बैंच को ट्रांसफर कर दिया है, जिस पर 29 मई को सुनवाई होने की संभावना बताई जा रही है। इस सुनवाई में तय होगा कि ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए अवनर ढेबर को जमानत मिलेगी अथवा नहीं। वहीं छत्तीसगढ़ शासन की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को अवगत कराया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस मामले में घसीटने के लिए ईडी द्वारा पकड़े गए आरोपियों पर दबाव डाला जा रहा है।
जस्टिस संजय किशनकौल, और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ में अनवर देबर की अलग-अलग दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई। अनवर की तरफ से पीएमएलए की धारा 50 को चुनौती दी गई है, इसमें ईडी किसी को भी बिना कारण बताए पूछताछ के लिए बुलाने का प्रावधान है। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अगली तिथि 18 जुलाई निर्धारित की है। इसकी सुनवाई अनिल टुटेजा, और यश टुटेजा की याचिका के साथ होगी । अनवर ढेबर ने जमानत के लिए भी याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी कर रहे पूर्व अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, और सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि याचिकाकर्ता ईडी को लगातार सूचित कर रहे थे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट में याचिका स्वीकृत होने की जानकारी भी दी गई थी। याचिका स्वीकृत होने के बाद गिरफ्तारी की गई।
अधिवक्ताओं ने ईडी की कार्रवाई को गैर जिम्मेदाराना करार दिया। कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। अवकाशकालीन बैंच में केस को ट्रांसफर कर दिया है। संभवत: 29 तारीख को जमानत अर्जी पर सुनवाई होगी। इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ सरकार ने भी हस्तक्षेप याचिका लगाई है। छत्तीसगढ़ सरकार की पैरवी कर रहे वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि कथित शराब घोटाले में सीएम का नाम लेने के लिए प्रताडित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि आबकारी विभाग के 52 अधिकारियों ने ईडी के दबाव के चलते काम करने से मना कर रहे हैं। उन्होंने इस सिलसिले में सीएम को ज्ञापन भी दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों की याचिका लंबित है उन्हें प्रताडित न किया जाए। ईडी की तरफ से एएसजी एसवी राजू ने पैरवी की।