आस्था के दीपो से जगमगाने तैयार है डोंगरगढ़, इस बार बमलेश्वरी माता को चढ़ेगा सोने का मुकुट…

प्रादेशिक मुख्य समाचार

देश भर में नवरात्र को लेकर भक्तिमय माहौल बना हुआ है चारो ओर माता के भक्त उत्सव की तैयारी में लगे हैं. पश्चिमी छत्तीसगढ़ के छोर में घने जंगलों और ऊँची-ऊँची पहाड़ियो के बीच माता बमलेश्वरी का धाम डोंगरगढ़ बसा है. डोंगरगढ़ देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है, यहाँ आदिशक्ति माता बगलामुखी को समर्पित दो मंदिर हैं, एक 1600 फीट की ऊँचाई पर पहाड़ में तो दूसरा मंदिर नीचे समतल ज़मीन पर स्थित है. दोनों ही मंदिरों में माता बमलेश्वरी की आराधना की जाती है.

यहाँ वर्ष भर श्रद्धालु माता के दर्शनों को पहुचते हैं और यह संख्या साल के दोनो नवरात्रों में लाखों तक पहुँच जाती है. नगरपालिका, पुलिस प्रशासन , मंदिर ट्रस्ट समिति, ज़िला प्रशासन और रेल विभाग के साथ ही डोंगरगढ़ के तमाम सरकारी विभाग संयुक्त रूप से वर्ष के दो नवरात्रों की ज़िम्मेदारी निभाते हैं. इसमें श्रद्धालुओं के आने जाने रहने खाने के साथ ही सुरक्षा और कड़ी बंदोबस्ती करना बड़ी चुनौती होती है, लेकिन कई दशकों से अनवरत चली आ रही इस परंपरा का सकुशल निर्वाह होता है. इसबार चैत्र नवरात्र की शुरुवात 9 अप्रैल, मंगलवार से हो रही है. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है.

लभर में कुल 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का महत्व काफी ज्यादा होता है. माना जाता है कि नवरात्रि में माता की पूजा-अर्चना करने से देवी दुर्गा की खास कृपा होती है. मां दुर्गा की सवारी वैसे तो शेर है लेकिन जब वह धरती पर आती हैं तो उनकी सवारी बदल जाती है और इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर आएंगी. डोंगरगढ़ में भी नवरात्र उत्सव की तैयारियाँ पूर्णता की ओर आ गई हैं. बमलेश्वरी माता के दोनों ही मंदिर रंगबिरंगी लाइट की झालरों और फुलो से सज चुकें हैं, मंदिर की सजावट श्रद्धालुओं का मन मोह रही है. डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर मां बम्लेश्वरी का मंदिर विश्व विख्यात आस्था का केंद्र है. यहां की पहाड़ी पर 1600 फिट की ऊंचाई पर पहला मंदिर बड़ी बम्लेश्वरी के नाम से जाना जाता है. यहां पर मां के दर्शन के लिए करीब 1000 सीढ़ियां चढ़नी होती है. बड़ी बम्लेश्वरी के समतल पर ही छोटी बम्लेश्वरी देवी मंदिर स्थित है. नवरात्रि में यहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस दौरान यहां भव्य मेले का आयोजन होता है.

डोंगरगढ़ में साल के दोनों नवरात्र में भव्य मेला लगता है. माता के दर्शनों के लिए लाखों की संख्या में दर्शनार्थी पहुंचते हैं. यहां दर्शन करने प्रदेश के अलावा दूसरे प्रदेश के भी दर्शनार्थी हर साल माता के दरबार में पहुंचते हैं. डोंगरगढ़ में पहाड़ी मंदिर तक पहुंचने के लिए सुव्यवस्थित सीढ़िया तो बनाई ही गई है. लेकिन दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए रोपवे भी बनाया गया है. मंदिर ट्रस्ट समिति द्वारा संचालित ये रोपवे नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिनों तक दिन रात चालू रहता है. सीढ़ियों पर भी दर्शनार्थियों के लिए पेय जल विश्राम गृह जैसी तमाम व्यवस्थाएँ रहती है. भीड़ को देखते हुए नवरात्र में दिन रात लगातार मंदिर का पट माता के दर्शन हेतु खुला रहता है. मेला व्यवस्था के लिए हज़ारो की संख्या में सुरक्षा बलों के जवानों की तैनाती भी जाती है.

डोंगरगढ़ आने वाले यात्रियों के लिए रेल विभाग की ओर से कई सुपरफ़ास्ट ट्रेनों के स्टॉपेज़ के साथ मेला स्पेशल ट्रेनों का भी संचालन किया जाता है. लोगो का मानना है यहाँ उनकी सारी मनोकामनाये माता बमलेश्वरी के दर्शन मात्र से पूरी हो जाती हैं इसलिए यहाँ वर्ष प्रति वर्ष डोंगरगढ़ पहुँचने वाले भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस वर्ष नवरात्रि पर्व में 8500 आस्था के दीप बड़ी मां बमलेश्वरी के दरबार में और 900 ज्योति कलश नीचे छोटी मां बमलेश्वरी माता के दरबार में जलाये जाएँगे.

माता के दरबार में आस्था के दीप जलाने देश सहित विदेश से भी लोग डोंगरगढ़ आते हैं. इस बार ऑस्ट्रेलिया यूएसए के भक्तों ने भी माता की ज्योत प्रज्वलित की है इनके अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव, बृजमोहन अग्रवाल विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह, ने भी मां बमलेश्वरी के दरबार में ज्योति कलश प्रज्वलित कराए हैं. इस नवरात्र मां बमलेश्वरी को सोने का मुकुट चढ़ाया जा रहा है. अब माता बमलेश्वरी का दर्शन सोने के सिहासन और स्वर्ण मंडित गर्भ गृह के साथ मनमोहक स्वर्ण मुकुट से और भी ज़्यादा मोहक लगेगा.

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