मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पूर्व सीएम कमलनाथ के गढ़ में भाजपा ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। छिंदवाड़ा नगर पालिका निगम में कांग्रेस के 7 पार्षदों ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया है। इसके बाद छिंदवाड़ा में नगर पालिका अध्यक्ष कुर्सी भी खतरे में पड़ गई है। कांग्रेस यहां अल्पमत में आ गई है। भाजपा की सदस्यता लेने वाले पार्षदों ने सीएम डॉ. मोहन यादव और कैलाश विजयवर्गीय से भोपाल पहुंचकर मुलाकात भी की।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर लीडर कमलनाथ के गढ़ में कांग्रेस को झटका लगा है। देर रात एक नाटकीय घटनाक्रम में सात कांग्रेसी पार्षदों ने भोपाल में कैलाश विजयवर्गी के सामने भाजपा की सदस्यता ली, इसके बाद सभी पार्षदों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ भी मुलाकात की। नगर निगम में कांग्रेस के कुल 21 पार्षद रह गए हैं। छिंदवाड़ा निगम में पार्षदों की कुल संख्या 49 हैं इस दलबदल के कारण अब परिषद में कांग्रेस का बहुमत खत्म हो गया है। इन पार्षदों में 6 कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीते थे और एक पार्षद जगदीश गोदरे निर्दलिय चुनाव जीतकर कांग्रेस में शामिल हुए थे।
निगम में कांग्रेस अल्पमत में
छिंदवाड़ा नगर निगम में कुल 48 वार्ड हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के 27, भाजपा के 20 जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी। निर्दलीय चुने गए पार्षद ने बाद में कांग्रेस जॉइन कर ली थी। अब सात पार्षदों के पाला बदलने के बाद बीजेपी समर्थक पार्षदों की संख्या 27 हो गई है। वहीं, कांग्रेस पार्षदों की संख्या घटकर 21 रह गई है। ऐसे में निगम में कांग्रेस अल्पमत में आ गई है। भाजपा में शामिल हुए पार्षदों का कहना है कि कांग्रेस नगर निगम में विकास कार्य नहीं हो पा रहे थे, इसलिए मजबूरीवश भाजपा में शामिल हुए हैं।
पार्षद जगदीश गोदरे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम डॉ. मोहन यादव के कार्यों से प्रभावित होकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। कई दिनों से छिंदवाड़ा के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हो पा रहे थे। डेढ़ साल से हमारे कई बार कहने पर भी काम नहीं हो रहे थे।अब नगर निगम में कांग्रेस अल्पमत में आ गई है। अब कांग्रेस को अध्यक्ष पद से हटना पड़ेगा। निगम में बीजेपी का अध्यक्ष बैठेगा।
इन पार्षदों ने थामा भाजपा का दामन
धनराज भूरा भाबरकर वार्ड 45, जगदीश गोदरे वार्ड 23, चंद्रभान ठाकरे वार्ड 33, दीपा माहौरे वार्ड 20 संतोषी वाडिवा वार्ड 16 लीना तिरगाम वार्ड 9 से कांग्रेस पार्षद थे। हालांकि नगरीय विकास विभाग के अफसरों के अनुसार, पार्षदों के बीजेपी जॉइन करने के बाद महापौर के पद पर फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि वे सीधे तौर पर जनता से निर्वाचित हैं। अध्यक्ष का पद जरूर प्रभावित हो सकता है। बीजेपी को बहुमत मिलने की स्थिति बनने से परिषद के कामों में पार्षदों को साधना कांग्रेस महापौर की जिम्मेदारी होगी।
महापौर परिषद के माध्यम से शासन ने महापौर को बड़े वित्तीय अधिकार दिए हैं, इसलिए ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। महापौर सिर्फ उस स्थिति में हट सकते हैं, जब उनका कार्यकाल दो साल का हो जाए। पार्षदों द्वारा उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया जाए। फिलहाल महापौर का कार्यकाल दो साल का नहीं हुआ है।