नोटबंदी के बाद डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में बड़ी वृद्धि

राष्ट्रीय

इजाफा नोटबंदी के सकारात्मक प्रभावों की ओर इशारा करते हैं।
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित नोटबंदी पर राजनीतिक लड़ाई खूब हुई, लेकिन सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि अर्थव्यवस्था संगठित हुई और टैक्सबेस बड़ा हुआ।
रेवेन्यू ग्रोथ का ट्रेंड नोटबंदी के दो साल बाद वित्त वर्ष 2018-19 में भी जारी रहा, कॉर्पोरेट इनकम टैक्स 14 फीसदी और पर्सनल इनकम टैक्स 13 फीसदी की दर से बढ़ा। सूत्रों ने कहा, अडवांस टैक्स के तहत वॉलंटरी टैक्स पेमेंट भी 14 फीसदी की गति से बढ़ रहा है, यदि इसे बढ़ते डिजिटलाइजेशन के साथ देखें, साफ-सुथरे इकनॉमिक सिस्टम की ओर इशारा करता है। बड़ी मात्रा में कैश डिपॉजिट के अलावा, घरेलू सहायकों और श्रमिकों आदि के द्वारा संचालित खातों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
नोटबंदी वाले साल 2016-17 में नए इनकम टैक्स फाइलर्स की संख्या में 29 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। एक सूत्र ने कहा, ‘नए टैक्स फाइलर्स में स्पष्ट इजाफे का श्रेय फॉर्मल चैनल्स में कैश ट्रांसफर होने की वजह से उच्च अनुपालन को दिया जा सकता है, जोकि नोटबंदी की वजह से हुआ।’ इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की संख्या में वृद्धि का ट्रेंड मंद नहीं हुआ है। इस साल फरवरी तक 1 करोड़ से अधिक नए फाइलर्स जुड़ चुके हैं।
नोटबंदी डेटा कालेधन के खिलाफ ऐक्शन को भी रेखांकित करता है, नवंबर 2016 से मार्च 2017 के बीच 900 करोड़ रुपये का कालाधन जब्त किया गया। सूत्र ने कहा, ’18 लाख ऐसे केसों की पहचान हुई थी, जिसमें कैश डिपॉजिट रिटर्न फाइलिंग से मेल नहीं खा रहा था या उन्होंने रिटर्न फाइल नहीं की थी। ऐसे लोगों को ईमेल और एसएमएस भेजे गए, परिणाम यह है कि टैक्स कलेक्शन बेहतर हो गया।

 

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