विपक्ष के विरोध के बीच अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 को गुरुवार को सदन में पेश किया। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी ने इस दौरान मत विभाजन की माँग की लेकिन अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी अनुमति नहीं दी और विधेयक को ध्वनिमत से पेश कर दिया गया।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार वक्फ संपत्ति पर कब्जा करना चाहती है। पूरे देश में वक़्फ़ की 9.4 लाख एकड़ भूमि है जिस पर सरकार हस्तक्षेप करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्य नहीं होना चाहिए क्योंकि यह संपत्ति मुस्लमानों की है और उसके निर्णय में उन्हीं को होना चाहिए। यह संवेदनशील मामला है इसमें जल्दबाजी की जरूरत नहीं है।
श्री रिजिजू ने कहा कि इस कानून को निरस्त करना आवश्यक है। वर्ष 1923 का अधिनियम तो अस्तित्व में ही नहीं है, इसलिए इसे हटाना चाहते हैं।
इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आजादी के बाद वक्फ बोर्ड के कानून में संशोधन होने के बाद ‘मुसलमान वक्फ कानून-1923’ का अस्तित्व अपने आप ही समाप्त हो गया था, लेकिन, इसे कागजों से नहीं हटाया गया। उन्होंने कहा कि यह उस कानून को सिर्फ कागजों से हटाने के लिए लाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है।