नयी दिल्ली, विपक्षी इंडिया समूह ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर सदन में कार्यवाही के दौरान पक्षपात का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
राज्यसभा के 72 वर्ष के इतिहास में किसी सभापति के खिलाफ पहली बार अविश्वास का प्रस्ताव लाया गया है। लोकसभा अध्यक्ष के खिलाफ अब तक तीन बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि इंडिया गठबंधन ने सभापति के खिलाफ राज्यसभा सचिववालय को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इस प्रस्ताव पर इंडिया गठबंधन के करीब करीब सभी दलों के 60 नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं ।
श्री रमेश ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में वीडियो साझा करते हुए कहा, “72 साल में पहली बार विपक्ष की पार्टियों ने राज्य सभा में चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया है। ये दर्शाता है कि हालात कितने खराब हैं। राज्य सभा के चेयरमैन बड़े वकील हैं, संविधान की समझ रखते हैं, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने सदन चलाया है, इंडिया गठबंधन को अविश्वास प्रस्ताव के लिए मजबूर होना पड़ा।”
अविश्वास प्रस्ताव राज्यसभा महासचिव को सौंपने के बाद इंडिया गठबंधन के नेताओं ने कहा है कि यह विवशता में लिया गया अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। राज्यसभा के सभापति का सदन में व्यवहार बहुत ही पक्षपातपूर्ण रहा है।
इंडिया गठबंधन के सूत्रों ने कहा “आज सारी पार्टियां एक आवाज में कह रही हैं कि चेयरमैन साहब पक्षपात कर रहे हैं। राज्यसभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीक़े से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण इंडिया समूह के सभी घटक दलों के पास उनके ख़िलाफ़ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। गठबंधन की पार्टियों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के महासचिव को सौंपा गया है।”
जानकारों के अनुसार राज्यसभा में सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए 14 दिन का नोटिस देना होता है। देश के उप राष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और उनको हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव के राज्यसभा में सामान्य बहुमत से पारित होने के साथ साथ लोकसभा में भी सामान्य बहुमत के साथ सहमति जरूरी होती है।
मौजूदा राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ राष्ट्रीय जनतांत्रिक का पलड़ा भारी है। सदन में राजग और उसके समर्थक दलों के सदस्यों की संख्या करीब 120 है।