वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए अशोक गहलोत

मुख्य समाचार राष्ट्रीय

नयी दिल्ली. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दायर मानहानि मामले में सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत में पेश हुए।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने सत्र न्यायालय के आदेश पर सुनवाई के बाद कहा कि गत एक अगस्त के आदेश के तहत एलडी रिवीजन कोर्ट ने आरोपियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के लिए अनुमति देने का आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है कि यह अदालत आज अभियुक्तों पर जमानत प्रतिभूति भरने पर जोर नहीं देगी। तदनुसार आरोपी को सुनवाई की अगली तारीख पर जमानत बांड प्रस्तुत करने और उक्त उद्देश्य के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है।
दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत ने 900 करोड़ रुपये के संजीवनी क्रेडिट सोसायटी घोटाले में श्री गहलोत द्वारा उन्हें बदनाम करने और शामिल करने के लिए श्री शेखावत की ओर से दायर याचिका पर गत छह जुलाई को उनके खिलाफ समन जारी करने का आदेश पारित किया था। इसके साथ ही श्री गहलोत को आज अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था।
अदालत ने पहले कहा था कि तथ्यों और परिस्थितियों, शिकायतकर्ता गवाहों की गवाही, रिकॉर्ड पर रखे गए सबूतों पर विचार करने के बाद, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी ने शिकायतकर्ता के खिलाफ विशिष्ट मानहानिकारक बयान दिए हैं, जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है। इसके अलावा प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी के पहले के बयान अखबार/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया/सोशल मीडिया में पर्याप्त रूप से प्रकाशित किये गये हैं।
अदालत ने कहा कि उपरोक्त तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत श्री गहलोत को तलब करने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री ने राउज एवेन्यू की जिला अदालत में शिकायत दर्ज करायी है। शिकायत में कहा गया है कि श्री गहलोत ने उन्हें बदनाम किया और उन पर 900 करोड़ रुपये के संजीवनी क्रेडिट सोसायटी घोटाले में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया। उन्होंने दलील दी कि जब राजस्थान सरकार ने मामले की जांच की तो उनका नाम कहीं भी सामने नहीं आया। उन्होंने अदालत से श्री गहलोत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत परिभाषित आपराधिक मानहानि का मुकदमा चलाने तथा अपनी प्रतिष्ठा के नुकसान के लिए उचित वित्तीय मुआवजे की मांग की।

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