नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन के आरोपी तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी और उनकी पत्नी की अपील खारिज करते हुए उनकी गिरफ्तारी की वैधता की पुष्टि के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को 12 अगस्त तक हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ करने की सोमवार को अनुमति दी।
न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने बालाजी और उनकी पत्नी मेगाला की मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें बालाजी को ईडी की हिरासत में लेने की अनुमति दी गई थी।
पीठ के समक्ष प्रवर्तन निदेशालय ने दलील दी कि सबूत जुटाने के लिए आरोपी मंत्री को गिरफ्तार करने और हिरासत में पूछताछ करने की आवश्यक शक्ति है।
श्री बालाजी का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि ईडी के पास धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत किसी आरोपी से हिरासत में पूछताछ करने का कोई निहित अधिकार नहीं है।
श्रीमती मेगाला की याचिका में मद्रास उच्च न्यायालय के 14 जुलाई और चार जुलाई 2023 के आदेशों की वैधता को चुनौती दी गई थी, जिसमें उनकी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को सुनवाई के लिए योग्य नहीं बताते हुए खारिज कर दिया गया था।
मंत्री बालाजी के खिलाफ कार्रवाई मई में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद हुई, जिसमें 2011 और 2016 के बीच परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान रिश्वत लेकर नौकरी के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी को उनसे पूछताछ करने की अनुमति दी गई थी।
ईडी ने 14 जून को बालाजी को गिरफ्तार किया था। इसके थोड़ी देर पश्चात उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की और फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में चेन्नई के कावेरी अस्पताल में उनकी कोरोनरी धमनी बाईपास सर्जरी हुई थी।