नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) निदेशक संजय कुमार मिश्रा के सेवा विस्तार को अवैध करार देने और उनके कार्यकाल की सीमा 31 जुलाई 2023 तय करने के बावजूद केंद्र सरकार ने एक बार फिर उनका कार्यकाल बढ़ाने की गुहार लगाते हुए शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की है, जिस पर गुरुवार को सुनवाई की जाएगी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की गुहार पर इस मामले पर कल सुनवाई करने की सहमति व्यक्त की।
श्री मेहता ने वर्तमान ईडी निदेशक मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर दायर एक आवेदन पर सुनवाई करने की गुहार ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान लगाई।
श्री मिश्रा को बार-बार एक्सटेंशन (सेवा विस्तार) दिए जाने के खिलाफ एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से दायर जनहित याचिका पर बहस करने वाले वकील प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट कर केंद्र की याचिका को ‘बेतुका’ बताया है।
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 11 जुलाई को श्री मिश्रा के एक-एक वर्ष के दो कार्यकाल विस्तार को अवैध करार दिया था। उन्हें 31 जुलाई तक हालांकि अपने पद पर बने रहने की मोहलत दी गयी थी।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि व्यापक सार्वजनिक हित के मद्देनजर 31 जुलाई 2023 तक उन्हें (संजय कुमार मिश्र) वर्तमान पद पर बने रहने की अनुमति दी जाती है। यानी सरकार को इस पद पर किसी अन्य अधिकारी की नियुक्ति करने के लिए करीब 20 दिनों की अवधि की मोहलत दे दी थी।
पीठ ने हालांकि, केंद्र सरकार के केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अधिनियम 2021 और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) अधिनियम 2021 की वैधता को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया था।
इन दोनों संशोधित अधिनियमों में केंद्रीय जांच एजेंसियों – केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के पद का कार्यकाल 5 वर्षों तक विस्तार की अनुमति दी गई है।
शीर्ष अदालत के इस फैसले से साफ हो गया था कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी प्रमुख के पद के अधिकारी का सेवा विस्तार अधिकतम पांच वर्षों तक करना कानून सम्मत है।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि उसने पाया कि 08 सितंबर 2021 के (कॉमन कॉज़ मामले में) उसके पिछले फैसले में जारी किए गए परमादेश का उल्लंघन करते हुए श्री मिश्रा को 17 नवंबर 2021 और 17 नवंबर 2022 को एक-एक वर्ष की अवधि के लिए विस्तार दिया गया था।
पीठ ने कहा था, “केंद्र सरकार परमादेश का उल्लंघन करते हुए आदेश जारी नहीं कर सकती थी।”
न्यायमूर्ति गवई ने कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और डॉ. जया ठाकुर, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता साकेत गोखले और महुआ मोइत्रा, वकील एम एल शर्मा, कृष्ण चंदर सिंह और सामाजिक कार्यकर्ता विनीत नारायण और स्वयंसेवी संस्था- कॉमन कॉज द्वारा ईडी निदेशक के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर 103 पृष्ठों में अपना फैसला दिया था।
संशोधनों के बाद केंद्र सरकार को ईडी निदेशक का कार्यकाल पांच सालों तक बढ़ाने का अधिकार है।
पीठ ने (स्वयंसेवी संस्था कॉमन कॉज मामले में) अपने फैसले में कहा था कि सरकार पर दो साल की अवधि से अधिक प्रवर्तन निदेशक नियुक्त करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
पीठ ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि एक अधिनियम द्वारा परमादेश को रद्द करना अस्वीकार्य विधायी अभ्यास होगा।