प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान को ‘राजनीतिक हथियार’ के रूप में इस्तेमाल करने के लिए विपक्षी दलों को चेतावनी देते हुए आज कहा कि इसे कोई भी नहीं बदल सकता, यहां तक कि खुद डॉ. भीमराव अंबेडकर भी इसे नहीं बदल सकते लेकिन इंडिया गठबंधन के नेता लोगों को गुमराह कर रहे हैं कि यदि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा सत्ता में आई तो संविधान बदल दिया जाएगा।
श्री मोदी ने गया सीट से चुनाव लड़ रहे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार जीतनराम मांझी और औरंगाबाद से चुनाव लड़ रहे सुशील कुमार सिंह के पक्ष में गया में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्षी दलों द्वारा संविधान का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे प्रचार कर रहे थे कि यदि लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में आई तो संविधान बदल दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “यह पूरी तरह से निराधार और भ्रामक है कि यदि भाजपा मौजूदा लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी।” उन्होंने कहा कि किसी के पास किसी भी परिस्थिति में संविधान को बदलने का साहस और अधिकार नहीं है। उन्होंने गरजते हुए कहा कि न केवल भाजपा बल्कि खुद बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर भी संविधान को नहीं बदल सकते थे।
श्री मोदी ने कहा कि लोगों को विपक्ष द्वारा फैलाये जा रहे दुष्प्रचार पर विश्वास नहीं करना चाहिए कि भाजपा संविधान बदल देगी। उन्होंने कहा कि संविधान विपक्षी दलों के लिए केवल एक राजनीतिक हथियार है लेकिन इसके प्रति गहरा सम्मान और भावनाएं रखने वाली भाजपा के लिए यह एक पवित्र ग्रंथ है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह संविधान की शक्ति है कि उनके जैसा गरीब और पिछड़े परिवार में पैदा हुआ व्यक्ति भारत का प्रधानमंत्री बना।’ उन्होंने कहा कि संविधान डॉ. राजेंद्र प्रसाद और डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों द्वारा तैयार किया गया। यह देश में शासन के लिए एक “पवित्र पुस्तक” है।
श्री मोदी ने कहा कि संविधान सभा के 80 से 90 प्रतिशत सदस्य सनातनी (हिंदू धर्म और दर्शन में विश्वास रखने वाले) थे और विपक्ष द्वारा संविधान पर कोई भी हमला सनातनियों पर हमले के समान है। उन्होंने आगे कहा कि इंडिया गठबंधन के नेताओं ने अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक का बहिष्कार किया, जो पूरी तरह से भारत की परंपरा के खिलाफ है। देश की जनता उनके ऐसे असहिष्णु कृत्य के लिए उन्हें उचित सबक सिखाएगी।