Sleep deprivation can harm the brain: अच्छी नींद और सेहत का एक दूसरे के साथ गहरा संबंध है। एक तरफ जहां, अच्छी नींद खूबसूरत त्वचा और अच्छी सेहत की वजह बन सकती वहीं इसकी कमी होने पर व्यकित कई गंभीर रोगों की चपेट में भी आ सकता है। आज के समय में लोग नींद से जुड़ी कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। विज्ञान पत्रिका प्रोटिओम रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है कि नींद की कमी से मस्तिष्क में प्रोटेक्टिव प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है। इससे दिमाग के याददाश्त वाले हिस्से हिप्पोकैंपस को नुकसान पहुंचता है। जिसकी वजह से व्यक्ति को अल्जाइमर और डिमेंशिया रोग का खतरा बढ़ सकता है। दरअसल, प्रोटेक्टिव प्रोटीन अधिक सोचने पर मस्तिष्क पर पड़ने वाले असर को कम करने की जिम्मेदारी संभालता है।
क्या कहता है शोध-
रिपोर्ट के मुताबिक, नींद पूरी नहीं होने से दिमाग में होने बाले बदलावों को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने चूहों पर प्रयोग किया। इसके लिए चूहों को दो दिन तक सोने नहीं दिया गया। इसके बाद नई चींजों को याद रखने और भूलभुलैया जैसे खेलों से उनकी क्षमता को जांचा गया।
शोधार्थियों ने इसके बाद चूहों के दिमाग में याददाश्त वाले हिस्से हिप्पोकैम्पी (इंसानों के दिमाग का हिप्पोकैंपस कहलाता है) में बनने वाला प्रोटीन निकाला और उन प्रोटीन की पहचान की जिनमें बदलाव हुए। इसके बाद उन्होंने इस डाटा को पूरी नींद लेने वाले चूहों के प्रोटीन से तुलना की। इससे पता चला कि कम नींद लेने वाले चूहों में प्लियोट्रोफिन (पीटीएन) नाम के प्रोटीन की मात्रा काफी कम थी। यही प्रोटीन इंसानों के हिप्पोकैंपस में भी होता है। इसकी कमी के कारण हिप्पोकैंपस में बनने वाले सेल्स मरने लगते हैं। दिमाग सही तरीके से काम नहीं करता। मनुष्य चीजों को याद नहीं रख पाता।
