शांति बहाली में रुकावट के पीछे कौन?, मणिपुर में जानबूझकर सेना का रास्ता रोक रहीं महिलाएं

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इम्फाल. हिंसा प्रभावित मणिपुर में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। भारतीय सेना की स्पीयर्स कोर ने लोगों से पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाली के अपने प्रयासों का समर्थन करने के लिए कहा है। राज्य में एक महीने से अधिक समय से जातीय हिंसा हो रही है। मंगलवार, 27 जून को जारी एक बयान में सेना ने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों के समूह राज्य में शांति बहाली की प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं और जानबूझकर मार्गों को ब्लॉक कर रहे हैं।

‘स्पीयर्स कोर’ ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियान में बाधा डाल रही हैं। इस तरह का अनुचित हस्तक्षेप गंभीर परिस्थितियों के दौरान जान-माल का नुकसान रोकने के लिए सुरक्षा बलों को समय पर जरूरी कार्रवाई करने से रोकता है।’’ यह बयान इंफाल पूर्व के इथम गांव में सेना और महिला प्रदर्शनकारियों के बीच गतिरोध के दो दिन बाद आया है। गतिरोध के कारण सेना को उन 12 आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा, जिन्हें एक ऑपरेशन के दौरान पकड़ लिया गया था।

मेइती उग्रवादियों के लिए सेना से भिड़ीं महिलाएं

सेना के ‘स्पीयर्स कोर’ ने सोमवार देर रात ट्विटर पर ऐसी घटनाओं का एक वीडियो साझा किया और कहा कि इस तरह का ‘‘अनुचित हस्तक्षेप’’ सुरक्षा बलों को समय पर जरूरी कार्रवाई करने से रोकता है। उसने कहा, ‘‘भारतीय सेना सभी वर्गों से शांति बहाल करने के हमारे प्रयासों का समर्थन करने की अपील करती है। मणिपुर की मदद करने में हमारी सहायता करें।’’ अधिकारियों ने बताया था कि इंफाल ईस्ट के इथम गांव में महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच शनिवार को गतिरोध के बाद सेना ने नागरिकों की जान जोखिम में न डालने का ‘‘परिपक्व फैसला’’ किया और बरामद किए गए हथियारों व गोला-बारूद के साथ वहां से हट गए। इससे ही यह गतिरोध खत्म हो पाया।

सुरक्षा बलों ने इथम गांव को शनिवार को घेर लिया था, जहां प्रतिबंधित मेइती उग्रवादी समूह कांगलेई योल कान-ना लुप (केवाईकेएल) के 12 सदस्य छिपे हुए थे। इस कार्रवाई के बाद महिलाओं की भीड़ और सैनिकों के बीच गतिरोध उत्पन्न हुआ था। केवाईकेएल एक मेइती उग्रवादी समूह है, जो 2015 में छह डोगरा इकाई पर घात लगाकर किए गए हमले सहित कई हमलों में शामिल रहा है।

क्यों हो रही है हिंसा

गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।

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