राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने 8 अनुसूचित दवाओं की अधिकतम कीमत बढ़ाने का फैसला किया है. इन दवाओं का इस्तेमाल अस्थमा, टीबी, ग्लूकोमा के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों के इलाज में किया जाता है.
स्वास्थ्य एवं परिवार मामलों के मंत्रालय ने कहा कि एनपीपीए ने आठ दवाओं के ग्यारह अनुसूचित फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमतों को उनकी मौजूदा अधिकतम कीमतों से 50% बढ़ाने को मंजूरी दे दी है.
इससे पहले एनपीपीए ने 2019 और 2020 में 21 और 9 फॉर्मूलेशन दवाओं की कीमतों में 50% की बढ़ोतरी करने का फैसला किया था.
Prices Of Medicines Increased: सरकार ने इन दवाओं और फॉर्मूलेशन की कीमतों में संशोधन किया है…
धीमी हृदय गति के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एट्रोपिन इंजेक्शन (0.6 मिलीग्राम/एमएल)
टीबी के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला इंजेक्शन पाउडर स्ट्रेप्टोमाइसिन (750 मिलीग्राम और 1000 मिलीग्राम फॉर्मूलेशन)
अस्थमा की दवा साल्बुटामोल 2 मिलीग्राम और 4 मिलीग्राम की गोलियां और 5 मिलीग्राम/एमएल रेस्पिरेटर
ग्लूकोमा के उपचार में इस्तेमाल होने वाला पिलोकार्पिन 2% ड्रॉप
मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सेफैड्रोक्सिल टैबलेट 500 मिलीग्राम
थैलेसीमिया के उपचार के लिए डेफेरोक्सामाइन 500 मिलीग्राम इंजेक्शन और 300 मिलीग्राम लिथियम टैबलेट.
सरकार ने कहा- दवा निर्माताओं के आवेदन पर फैसला
इन दवाओं की अधिकतम कीमत में वृद्धि पर सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) को इन दवाओं की कीमतें बढ़ाने के लिए निर्माताओं की ओर से लगातार आवेदन मिल रहे थे.
दवा कंपनियों ने सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) की कीमतें बढ़ाने के लिए दवाओं की लागत में वृद्धि और विनिमय दर में बदलाव का हवाला दिया.
मंत्रालय ने कहा कि कंपनियों ने अनुपलब्धता के कारण कुछ दवाओं को बंद करने के लिए भी आवेदन किया है. इनमें से अधिकांश दवाएं सस्ती हैं और देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए प्राथमिक उपचार के रूप में उपयोग की जाती हैं.