नीट-यूजी में पेपर लीक के आरोपों के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने आखिर परीक्षा रद्द क्यों नहीं की। इस पर शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को विस्तार से बताया। अदालत ने कहा कि इस मामले में कोई व्यवस्थागत खामी नहीं पाई गई है। ऐसे में इसे रद्द करने से उन लाखों छात्रों के हित प्रभावित होते, जो एग्जाम में बैठे थे। इसके अलावा परीक्षा पास करने वाले छात्रों के मनोबल पर भी विपरीत असर पड़ता। अदालत ने कहा कि पूरी जांच से पता चला है कि पेपर लीक पटना और हजारीबाग तक ही सीमित था। इसका व्यापक असर नहीं था, जैसे किए दावे किए जा रहे थे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हमने अपने फैसले में एनटीए की सभी खामियों पर बात की है। हम छात्रों के हित में एनटीए की खामियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार को नीट परीक्षा की सभी खामियां इसी साल दूर कर लेनी चाहिए ताकि यह दोबारा कभी न हो सके। इसके साथ ही अदालत ने इसरो के पूर्व चीफ के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली कमेटी को रिपोर्ट सौंपने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया। देश में प्रतियोगी और प्रवेश परीक्षाओं के आयोजन में क्या सुधार करने चाहिए। इस पर सुझाव देने के लिए इस पैनल का गठन किया गया है।
यह कमेटी एनटीए के कामकाज की भी समीक्षा करेगी और परीक्षाओं में सुधार की सिफारिश करेगी। इस दौरान अदालत ने एनटीए को भी नसीहत दी। बेंच ने कहा कि हमने नीट-यूजी की परीक्षा को रद्द नहीं किया है, लेकिन आपकी खामियां खत्म करनी होंगी। बता दें कि गुरुवार को ही नीट यूजी पेपर लीक केस की जांच कर रही सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है। एजेंसी ने इस मामले में 13 लोगों को आरोपी बनाया है।
सीबीआई बोली- जांच अभी जारी है, यह पहली चार्जशीट
एजेंसी ने कहा कि यह प्राथमिक चार्जशीट है और हम अभी आगे की जांच कर रहे हैं। पेपर लीक केस में सीबीआई ने कुल 6 एफआईआर दर्ज की हैं। पटना से लेकर हजारी बाग तक से आरोपियों को दबोचा गया है। नीट-यूजी परीक्षा का आयोजन एनटीए कराता है। इस परीक्षा के आधार पर ही एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य मेडिकल कोर्सेज में दाखिला मिलता है। इस साल देश के 571 शहरों के 4,750 सेंटर्स में 5 मई को परीक्षा कराई गई थी। इसमें 23 लाख छात्रों ने हिस्सा लिया था।