नयी दिल्ली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर राजधानी में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार 2024 प्रदान किए और दिव्यांगजनों में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित किए जाने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि इन पुरस्कारों का दूरगामी सामाजिक महत्व है। इनका अनुकरण करके अन्य व्यक्ति और संस्थाएं दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
इस वर्ष के अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस की थीम ‘समावेशी और टिकाऊ भविष्य के लिए दिव्यांगजनों के नेतृत्व को बढ़ावा’ के बारे में चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांगजनों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, उनके कौशल का विकास करने, रोजगार प्रदान करने, उनके उत्पादों की खरीद और विपणन सुविधाएं प्रदान करने से उनकी नेतृत्व क्षमता को बल मिलेगा।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि पूरी मानवता को कुछ ऐसा करना चाहिए, ताकि दिव्यांगजन खुद को सहज और समान महसूस कर सकें। उन्हें हर तरह से बाधा मुक्त वातावरण उपलब्ध कराना समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सही मायनों में वही समाज संवेदनशील कहा जा सकता है जिसमें दिव्यांगजनों को समान सुविधाएं और अवसर मिलें।
राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांग होना किसी भी तरह की कमी नहीं बल्कि यह एक विशेष स्थिति है। दिव्यांगजनों को समानुभूति की जरूरत है, सहानुभूति की नहीं, संवेदनशीलता की जरूरत है, दया की नहीं, उन्हें स्वाभाविक स्नेह की जरूरत है, विशेष ध्यान की नहीं। समाज को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दिव्यांगजन समाज के अन्य सदस्यों के साथ समानता, गरिमा और सम्मान का अनुभव करें।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह काम करने का अवसर दिव्यांगजनों में आत्मविश्वास और सार्थक जीवन जीने की भावना पैदा करता है। इस प्रकार, रोजगार, उद्यम और आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।