उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से संबंधित दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा सांसद संजय सिंह की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में मानहानि की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस वी एन भट्टी की पीठ ने मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगाने की श्री केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित इस मामले में वहां 29 अगस्त को सुनवाई होनी है। ऐसी स्थिति में वह इस मामले में फिलहाल इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं है।
पीठ ने कोई आदेश पारित करने से इनकार करते हुए उम्मीद जताई कि उच्च न्यायालय अगली सुनवाई की तारीख पर कोई फैसला सुनाएगा।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, “हम इस स्तर पर नोटिस जारी करने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि यह मामला उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है और 29 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। हमें भरोसा और उम्मीद है कि मामले का निपटारा अगली तारीख को हो जाएगा।”
श्री केजरीवाल ने गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति समीर दवे की पीठ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत के समक्ष अपील की थी।
गुजरात विश्वविद्यालय ने आम आदमी पार्टी के नेता सर्वश्री केजरीवाल और सिंह के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया गया था। विश्वविद्यालय द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री का खुलासा नहीं करने के बाद दोनों नेताओं ने कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं।
गुजरात के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट जयेशभाई चोवतिया की अदालत ने इस साल 17 अप्रैल को पारित एक आदेश में सर्वश्री केजरीवाल और सिंह के बयान को प्रथम दृष्टया मानहानिकारक करार दिया था।
गुजरात के सत्र न्यायालय ने मानहानि कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने की दोनों नेताओं की अपील पांच अगस्त को अस्वीकार कर दी थी। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा आया था। यहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी और उच्च न्यायालय ने भी अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।