सालाना आधार पर मसालों के निर्यात में 20 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। पिछले महीने हांगकांग और सिंगापुर में एमडीएच (MDH) और एवरेस्ट (Everest) के शिपमेंट में एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) कीटनाशक स्वीकार्य स्तर से अधिक पाया गया था। इसे ही मसालों के निर्यात में गिरावट के पीछे की बड़ी वजह माना जा रहा है।
अप्रैल के मुकाबले 10 प्रतिशत लुढ़का एक्सपोर्ट
इससे पहले मार्च और अप्रैल का महीना मसाला कंपनियों के लिए शानदार साबित हुआ था। सालाना आधार पर देखें तो मार्च के महीने में 51 प्रतिशत और अप्रैल के महीने में 12 प्रतिशत की तेजी एक्सपोर्ट्स में देखने को मिली थी। जोकि में 20 प्रतिशत की गिरावट के बाद 361.17 मिलियन डॉलर पर आ गया। वहीं, अप्रैल के मुकाबले अगर देखें तो मसालों के एक्सपोर्ट में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। बता दें, अप्रैल के महीने में कुल एक्सपोर्ट 405.62 मिलियन डॉलर का हुआ था।
दुनियाभर में है भारत के मसालों की मांग
भारत की तरफ से दुनिया भर में मसाले भेजे जाते हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 4.25 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट हुआ था। जोकि 2022-23 में घटकर 3.7 बिलियन डॉलर हो गया। वैश्विक स्तर पर हो रहे मसालों के एक्सपोर्ट्स में भारत की कुल हिस्सेदारी 12 प्रतिशत की है। भारत से किए जानें वाले एक्सपोर्ट्स नें अधिकतर मिर्च पाउडर, जीरा, हल्दी, इलायची होता है।
क्या सोचते हैं इंडस्ट्री के एक्सपर्ट?
मसाला इंडस्ट्री से जुड़े थिंक टैंक का मानना है कि सुरक्षा और क्वालिटी से जुड़ी चिंताएं एक्सपोर्ट को प्रभावित कर सकती हैं। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर यूरोप और चीन भी भारत के मासलों के ऑर्डर को रद्द करता है तो इसका बुरा असर देखने को मिलेगा।
स्पीशीज बोर्ड ऑफ इंडिया ने पिछले महीने कहा था कि कुछ नई टेक्नोलॉजी को देखा जा रहा है जिससे भविष्य में किसी प्रकार का रिजेक्शन का सामना ना करना पड़े।