ममता बनर्जी ने PM मोदी पर साधा निशाना, 24 से पहले वोटरों को लुभाने की कोशिश

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उत्तर बंगाल में एक सभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि पीएम मोदी चुनाव से पहले वादा तो कर देते हैं, मगर उन्हें निभाना भूल जाते हैं। अपने भाषण में ममता बनर्जी ने कहा, “2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने कई वादे किए, मगर उन्होंने वो सारे वादे पूरे नहीं किए फिर लोकसभा चुनाव से पहले वे वही वादे कर सकते हैं। इस बारे में भूलना नहीं चाहिए।” बता दें ममता बनर्जी उत्तर बंगाल में जनता के बीच में हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मालदा दक्षिण सीट को छोड़कर सभी सीटों पर जीत हासिल की, इसलिए इस बार ममता ने उत्तर बंगाल के सियासी हथियारों को काफी पहले से ही धार देना शुरू कर दिया है। इस उद्देश्य से उन्होंने उत्तर बंगाल के लिए सेवाएं प्रदान करने के अलावा, नए आश्वासन भी दिए।

ममता ने कहा, ”मैं मजदूर परिवार के लोगों के साथ हूं। मैं बीजेपी नहीं हूं जो सब जगह चाय बागान खोल दूंगी, मैं मोदी सरकार की तरह नहीं हूं। पिछली बार उन्होंने कहा था कि खाते में 15 लाख रुपये दे देंगे। इस बार लोकसभा चुनाव से पहले यह फिर से शुरू होगा। उन पर विश्वास न करें।” उन्होंने आगे कहा, ”मुझे 100 दिनों से पैसे नहीं मिल रहे हैं। आवास का पैसा भी रुक गया है। सारा पैसा केंद्र सरकार लेती है। वे हमारा जीएसटी टैक्स लेते हैं और हमें शेयर नहीं दे रहे। मैं दिल्ली जा रही हूं 18 से 20 तारीख के बीच मैंने पीएम से समय मांगा है। मैं उनसे कहूंगी कि या तो पैसे दो, नहीं तो गद्दी छोड़ दो। एक लाख 15 हजार करोड़ रुपये बकाया है।”

उत्तर बंगाल के लोगों को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ने कहा, ”मैं चाय बागान श्रमिकों को पट्टा दूंगी। आज छह हजार पट्टे दिये जायेंगे। हमने बहुत सारी जमीनें हासिल कर ली हैं। मैं जिलाधिकारी से कहूंगी कि जिन लोगों को जगह नहीं मिली है, उनके नाम से पट्टा दिया जाए। कुल 13 हजार पट्टे दूंगी। मैं बाकी का सर्वेक्षण करूंगी।” उन्होंने आश्वासन दिया कि 12 दिसंबर को 1 करोड़ 20 लाख किसानों को कृषिबंधु का पैसा मिलेगा और अलीपुरद्वार के 90 हजार किसानों की खरीफ खेती का पैसा उनके बैंक खाते में आएगा। उन्हें दो बार में कुल 10,000 रुपये मिलेंगे।

राजनीतिक हलकों के एक वर्ग के मुताबिक, ममता 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह इस बार के लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल से खाली हाथ लौटने को तैयार नहीं हैं। इसलिए, ममता उत्तर बंगाल के हाशिए पर रहने वाले लोगों तक सरकारी परियोजनाएं पहुंचाकर वोटों का लाभांश अपनी पार्टी के पक्ष में करना चाहती हैं।

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