गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने देश से खाद्य पदार्थों और जैव ईधन के निर्यात की अपार संभावना बताते हुए सोमवार को कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए वह सहकारिता के माध्यम से तहसील स्तर पर निर्यात इकाई स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं ।
श्री शाह ने राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड की ओर से सहकारी निर्यात पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि दूध उत्पादों, मसाले, एथनाल और जैव उत्पादों की विश्व में भारी मांग है। सहकारिता के माध्यम से 7000 करोड़ रुपये के निर्यात का आदेश प्राप्त हुआ है । उन्होंने कहा कि साल में देश में तीन से चार फसलों की पैदावार होती है जिनमें से किसी एक फसल से जैव इंधन तैयार किया जा सकता है जिसकी विश्व स्तर पर भारी मांग है । सहकारिता क्षेत्र की कुछ चीनी मिलें एथनाल तैयार कर रही है और इसे बढावा देने की जरुरत है ।
उन्होंने कहा कि देश में चीनी का जो उत्पादन होता है उसमें 30 प्रतिशत सहकारिता क्षेत्र के माध्यम से आता है, जबकि दूध का 19 प्रतिशत उत्पादन होता है, लेकिन इन दोनों का निर्यात में हिस्सा क्रमश: एक से दो प्रतिशत ही है । उन्होंने कहा कि निर्यात से जो लाभ होता है उसका 50 प्रतिशत हिस्सा सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा किया जायेगा । उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि एक लाख टन चाावल का निर्यात होता है तो किसानों को उसकी खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तो दिया ही जायेगा और उससे जो लाभ होगा उसका 50 प्रतिशत किसानों के बैंक खातों में जमा किया जायेगा । इससे किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा और वे निर्यात योग्य सामग्री का उत्पादन करेंगे ।
श्री शाह ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से दलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर तथा इसके बाद उसके निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इसका दायित्व नेफेड और एनसीएल को दिया गया है । देश से फलों के निर्यात की भी अपार संभावना है, इसके लिए विदेश में स्वाद बढ़ाने की जरुरत है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए देश में जोरदार पहल की जा रही है और अब तक करीब 12 लाख किसान इसके तहत पंजीकृत भी कर लिए गये हैं। ऐसी उम्मीद है कि वर्ष 2027 तक लगभग दो करोड़ किसान इसकी खेती करने लगेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार सहकारिता के माध्यम से बेहतरीन बीज उत्पादन , जैविक उत्पाद और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है जिसका लाभ किसानों को मिले।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सहकारिता के ताध्यम से बड़े पैमाने पर कृषि और हस्तकरघा उत्पादों को निर्यात किया जा सकता है। विश्व में भारतीय वस्तुओं के प्रति विश्वास बढा है और उसे खरीदना चाहते हैं। मक्का से जैव ईंधन व्यापक पैमाने पर तैयार किया जा सकता है जिसकी विश्व में भारी मांग है। इससे जो लाभ होगा उसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अभी पेट्रोल में 12 प्रतिशत एथनाल मिलाया जा रहा है और इसे आगे 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना है। जैव ईंधन से पर्यावरण की सुरक्षा होती है और लोग इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं ।