चालू रबी सीजन के दौरान गेहूं और चावल (दूसरी फसल) की खरीद ने देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से उत्पन्न विकट लॉजिस्टिक्स बाधाओं के बावजूद तेज रफ्तार पकड़ ली है। 400 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं के लक्ष्य के सापेक्ष केंद्रीय पूल के लिए इसकी खरीद ने 216 एलएमटी के आंकड़े को 06 मई 2020 तक छू लिया है। यह विशेषकर इसलिए उत्साहवर्धक है क्योंकि गेहूं खरीदने वाले प्रमुख राज्यों जैसे कि पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में इसकी खरीद काफी देरी से 15 अप्रैल के बाद ही शुरू हो पाई थी। इसी तरह धान खरीद भी सुचारू रूप से चल रही है। सरकारी एजेंसियों द्वारा अब तक 44.9 एलएमटी धान की खरीद की गई है।
पंजाब 104.28 लाख मीट्रिक टन की खरीद के साथ गेहूं खरीद में सबसे आगे है। इसी तरह हरियाणा ने 50.56 एलएमटी गेहूं और मध्य प्रदेश ने 48.64 एलएमटी गेहूं की खरीद की है। बेमौसम बारिश की वजह से इन राज्यों में गेहूं के कुछ स्टॉक प्रभावित हुए थे। भारत सरकार खरीद संबंधी विशिष्ट विनिर्देशों में ढील देकर किसानों के हितों की रक्षा में उतर चुकी है जिससे खरीद के साथ-साथ किसानों को किसी भी संकट से बचाने में काफी मदद मिली है। उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान ने भी केंद्रीय पूल की खरीद में योगदान दिया है और वे इस दिशा में तेज गति पकड़ रहे हैं।
जहां तक धान का सवाल है, सर्वाधिक खरीद तेलंगाना में हुई है, जहां बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के चालू होने की बदौलत कुल उत्पादन में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। लगभग 45 एलएमटी की कुल धान खरीद में अकेले तेलंगाना का योगदान 30 एलएमटी का है। इसके बाद आंध्र प्रदेश का नंबर आता है जिसने लगभग 10 एलएमटी का योगदान किया है। लॉकडाउन से उत्पन्न विभिन्न चुनौतियों के बीच खरीद की यह उत्साहवर्धक गति भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकारों के बीच व्यापक टीमवर्क या पारस्परिक समन्वय का नतीजा है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत राज्य सरकारों द्वारा खाद्यान्न के उठाव ने 70 एलएमटी का आंकड़ा पार कर लिया है जो 3 माह के लिए कुल आवंटन का लगभग 58 प्रतिशत है। ‘पीएमजीकेएवाई’ के तहत देश भर में लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को 5 किलोग्राम अनाज 3 माह तक मुफ्त में वितरित किया जा रहा है। प्रत्येक राज्य ने अप्रैल 2020 कोटा के सापेक्ष स्टॉक उठाने का काम पूरा कर लिया है और 5 केंद्र शासित प्रदेशों ने पूरे 3 माह का कोटा उठाने का काम पूरा कर लिया है। भारत सरकार हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध कराकर यह सुनिश्चित कर रही है कि खाद्यान्न की उपलब्धता देश में किसी के लिए भी चिंता का कारण नहीं है।