करीबी पूंजीपति के लिए प्रतिद्वंदी पर छापे मरवाती है सरकार : कांग्रेस

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नयी दिल्ली, कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार चहेते उद्योगपति को आगे बढ़ाने के लिए हर कदम उठा रही है और उसे आम आदमी की चिंता नहीं है इसलिए देश में असमानता और महंगाई चरम पर पहुंच गई है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जय राम रमेश ने शनिवार को यहां जारी बयान में कहा कि सरकार एक उद्योगपति को पूरी पूंजी सौंपने के लिए अधिग्रहण के हर मामले में हर बार अधिग्रहण करने वाले दूसरी कारोबारियों पर दूर रहने का दबाव डालती है डरा धमका कर उनको बोली से हटने के मज़बूर करती है और अपने क़रीबी मित्रों के हाथों में धन को एकत्रित करने के लिए तमाम तरह के प्रबंध करती है। दूसरी ओर देश में असमानता लगातार बढ़ रही है और लोग रिकॉर्ड महंगाई तथा बेरोज़गारी के बोझ तले दबे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि रिज़र्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डॉ. विरल आचार्य के रिसर्च से पता चला है कि मोदी सरकार की नीतियों की वजह से क़ीमतें बढ़ रही हैं और जिनको एकाधिकार दिया जा रहा है वे मनमानी कर उपभोक्ताओं को लूट रहे हैं।
श्री रमेश ने कहा कि अडानी ग्रुप बार-बार जांच एजेंसियों द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वी कम्पनियों पर पड़ने वाली छापेमारी का लाभ उठा रहे हैं। एयरपोर्ट्स, पोर्ट्स और हाल ही में सीमेंट जैसे क्षेत्रों में बहुमूल्य संपत्तियों को हासिल करने के लिए अडानी के साथ कंपटीशन करने वाली कंपनियों पर सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स के छापे पड़े हैं। इसके बाद ये कंपनियां बोली से ख़ुद को अलग कर लेती हैं और नयी सम्पति का अधिपत्य अडानी के पास चला जाता है।
उन्होंने कहा कि ताज़ा मामला अडानी के स्वामित्व वाली अंबुजा सीमेंट्स द्वारा सांघी इंडस्ट्रीज़ के अधिग्रहण का है। इसको लेकर 28 अप्रैल को भारत की तीसरी सबसे बड़ी सीमेंट उत्पादक श्री सीमेंट द्वारा सांघी इंडस्ट्रीज़ का अधिग्रहण करने के लिए बातचीत की ख़बर आती है और 21 जून को आयकर विभाग श्री सीमेंट के ख़िलाफ़ पांच स्थानों पर छापेमारी शुरू कर देता है। फिर 19 जुलाई को श्री सीमेंट सांघी इंडस्ट्रीज़ के अधिग्रहण की दौड़ से बाहर हो जाती है। तीन अगस्त को अडानी के स्वामित्व वाली अंबुजा सीमेंट्स घोषणा करती है कि उसने सांघी इंडस्ट्री का अधिग्रहण कर लिया है। गुजरात के सांघीपुरम में सांघी की यूनिट भारत का सबसे बड़ा सिंगल लोकेशन सीमेंट और क्लिंकर प्लांट है। अपने क़रीबी मित्रों के लिए इन संपत्तियों की अहमियत को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इनपर अडानी ग्रुप का नियंत्रण सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

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