पीएम नरेंद्र मोदी ने पंजाब में अकेले ही भाजपा के लोकसभा चुनाव में उतरने को रणनीति बताया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अकाली दल के साथ हमारा अलगाव सोच-समझकर लिया गया फैसला है और इसके रणनीतिक मायने हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते सालों में कुछ चीजें ऐसी हुई हैं, जिनके चलते परंपरागत अकाली वोटर भी उनसे नाराज हुआ है। उन्होंने कहा कि खुद प्रकाश सिंह बादल विधानसभा का चुनाव हार गए थे। वह भी इतनी उम्र में हार गए। इससे भी अकाली दल के समर्थकों को करारा झटका लगा। प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद जो शून्य अकाली दल की राजनीति में पैदा हुआ है, उसे भरना मुश्किल होगा।
इसके अलावा अकाली दल अब टूटने लगा है। पीएम मोदी ने द ट्रिब्यून को दिए इंटरव्यू में कहा कि अकाली दल के तो कई अनुभवी नेता छोड़कर चले गए। फिर वे लगातार चुनाव हार रहे हैं। यही नहीं यह पूछे जाने पर कि पूरे उत्तर भारत में अच्छी जीत के बाद भी पंजाब में भाजपा कमजोर क्यों है। पीएम मोदी ने कहा कि ऐसा नहीं है। हमारे बीते दो लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को देख लीजिए। हम पिछली बार तीन लोकसभा में उतरे थे और दो पर जीत गए थे। पीएम मोदी ने कहा कि हम तो यहां की सत्ता में भी हिस्सेदार थे, लेकिन पूरी विनम्रता के साथ काम किया। हमारे मंत्री भी रहे, जिनका प्रदर्शन अच्छा था।
पीएम मोदी ने एक तरह से अलगाव का ठीकरा अकाली दल की कमजोरी पर फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अकाली दल से लोगों की नाराजगी थे। इसका स्तर यहां तक था कि लोग 2022 में बुरी तरह से भ्रमित थे और पंजाब की जनता ने आम आदमी पार्टी को सत्ता में ला दिया। ऐसी स्थिति में हमारे लिए जरूरी था कि हम खुद अच्छे से मेहनत करें। हमारी पार्टी के लिए यह संभव नहीं है कि राज्य में लोगों की इस हद तक नाराजगी हो और हम चुप बैठे रहें। प्रधानमंत्री ने इस दौरान आप और कांग्रेस के गठजोड़ पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि ये लोग दिल्ली में एकता की बातें करते हैं। पंजाब में कांग्रेस के नेताओं को आम आदमी पार्टी सरकार जेल में डालती है। वहीं दिल्ली के शराब घोटाले में कांग्रेसी इन लोगों को जिम्मेदार ठहराते हैं। यह कैसी एकता है। यही नहीं पीएम मोदी ने कहा कि आज पंजाब की सत्ता उन लोगों के हाथों में है, जिनकी सोच अर्बन नक्सल वाली है। इन लोगों को बेदखल करना जरूरी है।