कैसे सेना का मेजर पाक भेजने लगा खुफिया जानकारी, फेसबुक से फंस गया; राष्ट्रपति ने किया बर्खास्त

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पाकिस्तानी एजेंट से जुड़ने और उसे महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी ट्रांसफर करने वाले सेना के मेजर का संपर्क उससे फेसबुक के जरिए हुआ था। मिलिट्री इंटेलिजेंस की जांच में यह बात सामने आई है। जांच में कहा गया है कि मेजर लगातार पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी के संपर्क में था और उसे जानकारियां दे रहा था। इसी के चलते उस पर संदेह हुआ और फिर जांच हुई तो पूरा भेद खुल गया। सेना का यह मेजर स्ट्रेटेजिक फोर्सेज यूनिट में तैनात था और अक्टूबर में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

अब इस पूर्व सैन्य अधिकारी ने सैन्य फोर्सेज ट्राइब्यूनल की बेंच में अपील दायर की है। उसने अदालत की कॉपी मांगी है, जिसमें उसके खिलाफ आरोप लगाए गए थे। पूर्व अधिकारी का कहना है कि वह अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करना चाहता है, जिसके लिए ये दस्तावेज जरूरी हैं। राष्ट्रपति ने आर्मी ऐक्ट 1950 के सेक्शन 18 के तहत अफसर को हटा दिया था। आरोपी मेजर की 11 सालों तक कई अहम संस्थानों में तैनाती रही थी। वह आर्टिलरी रेजिमेंट में भी तैनात था। इसके अलावा कई अन्य अहम जगहों पर भी वह था।

मेजर को मार्च 2021 में एक सीक्रेट लोकेशन पर स्ट्रेटेजिक फोर्सेज यूनिट में तैनात किया गया था। यहां उसने मिसाइल फाउंडेशन कोर्स में भी हिस्सा लिया था। जांच के अनुसार मेजर की इसी दौरान मार्च 2022 में वह पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव आरुषि आकाश के संपर्क में आया था। दोनों के बीच फेसबुक पर ही संपर्क हुआ था। मेजर की जासूसी का खुलासा हुआ तो उसके पास से दो मोबाइल और एक लैपटॉप बरामद कर लिया गया। एक हार्ड ड्राइव भी पकड़ी गई। इन सबकी जब फॉरेंसिक जांच हुई तो पता चला कि उसमें कई अहम जानकारियां थीं और उसने उन्हें पाकिस्तान के एजेंट को भेजा था।

जांच के दौरान मेजर के फेसबुक अकाउंट समेत तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को खंगाला गया। शुरुआत में शक हुआ था कि वह 4 से 5 पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के संपर्क में है। बाद में पता चला कि वह एक ही खुफिया एजेंट के संपर्क में था। हालांकि बाद में मेजर ने दावा किया कि मैं नहीं जानता था कि वह पाक का एजेंट था। उसने फेसबुक पर अपना नाम आरुषि आकाश रखा हुआ था। अधिकारी के खिलाफ दो कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी हुई थी, जिसमें उसे दोषी पाया गया।

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