जनबल पर वर्चस्व स्थापित करने प्रयास चिंताजनक: धनखड़

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नयी दिल्ली, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि जनसंख्या के बल से दूसरों पर प्रभुत्व और वर्चस्व स्थापित करने का उद्देश्य चिंताजनक है तथा आस्था में छल-प्रपंच से उत्पन्न किया गया बदलाव मानव शोषण का सबसे बुरा रुप है।
श्री धनखड़ ने आज उप राष्ट्रपति निवास में उद्योगपति एवं हिंदुजा ग्रुप के प्रमुख गोपीचंद पी. हिंदुजा की पुस्तक “ आई एम?” के विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्र इस समय ऐसी ताकतों से सामना कर रहा है। जाति, वर्ग, धर्म, रंग, संस्कृति और खानपान के बनावटी विभाजन को घातक तरीके से बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मानव व्यवहार के सभी पहलुओं में, सहिष्णुता का मतलब दूसरों पर विजय प्राप्त करना नहीं है।
उन्हाेंने कहा कि टकराव को संवाद में, अशांति को विचार-विमर्श में और संघर्ष को सहमति में बदला जाना चाहिए।
जनसांख्यिकी में गैर-प्राकृतिक और बनावटी परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “ अगर उद्देश्य दूसरों पर प्रभुत्व, प्राथमिकता प्राप्त करना है, दूसरों पर जनसंख्या की ताकत से वर्चस्व स्थापित करना है, तो यह चिंता का विषय है।”
उन्हाेंने कहा कि धर्म में विश्वास स्वैच्छिक होता है। यह आत्मचेतना की पुकार होनी चाहिए। जो विश्वास छल-प्रपंच के माध्यम से उत्पन्न होता है, वह मानव शोषण का सबसे दीन-हीन रूप है।

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