तेज धूप और भयानक गर्मी की वजह से हज करने मक्का पहुंचे 550 हजयात्रियों की हीट स्ट्रोक की वजह से मौत हो चुकी है. मरने वालों में मिस्र, जॉर्डन, इंडोनेशिया, ईरान और सेनेगल से पहुंचे हज यात्री शामिल हैं.
सऊदी राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, सोमवार को मक्का की ग्रैंड मस्जिद में तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस (125 फ़ारेनहाइट) तक पहुंच गया था. मक्का के सबसे बड़े मुर्दाघरों में से एक अल-मुआइसेम में ही इतने शव देखे जा चुके हैं.
सऊदी अधिकारियों के मुताबिक, इस साल लगभग 1.8 मिलियन लोगों ने हज में भाग लिया है, जिनमें से 1.6 मिलियन दीगर मुल्कों से हैं. इस पवित्र यात्रा में गर्मी बड़ी बाधा बनकर खड़ी हुई है. सऊदी स्टडी के मुताबिक, मुसलमानों के इस खास स्थान पर तापमान हर दशक में 0.4 डिग्री सेल्सियस (0.72 डिग्री फ़ारेनहाइट) बढ़ रहा है.
तापमान से बचने के लिए सऊदी सरकार ने तमाम उपाय किए हैं, लेकिन यह आंकड़ा बीते साल के मुकाबले दोगुना है. इस बार अब तक जिन 550 यात्रियों की मौत हुई है, उनमें से 323 मिस्र रहने वाले थे, जबकि 60 जॉर्डन से थे. इसके बाद इंडोनेशिया, ईरान और सेनेगल के लोगों की बारी आती है. अरब अधिकारियों के अनुसार, मिस्र के हजयात्रियों में गर्मी के चलते एक के बाद एक गंभीर लक्षण देखे जा रहे थे. उनमें से एक को छोड़कर सभी मिस्र के हजयात्रियों की मौत गर्मी के कारण हुई.
पिछले साल भी गर्मी कहर बनकर टूटा था, जिसमें अलग-अलग देशों से आए हजयात्रियों में कम से कम 240 के मारे जाने की सूचना मिली थी, जिनमें से अधिकांश इंडोनेशियाई थे. अधिकारियों के हवाले से एएफपी ने बताया कि हजारों हजयात्री रजिस्टर्ड नहीं होते, क्योंकि वे आधिकारिक हज वीजा के लिए पूरा प्रोसेस काफी मंहगा होता है. हर साल कई बार हजारों हजयात्री अनियमित चैनलों के माध्यम से हज करने का प्रयास करते हैं.
