त्योहारों का सीजन शुरू होते ही लोगों को अक्सर पेट में गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं परेशान करने लगती हैं। ऐसा दरअसल सिर्फ खराब जीवनशैली की वजह से नहीं बल्कि खानपान की खराब आदतों की वजह से भी होता है। गैस और एसिडिटी की मुख्य वजह तीखा, चाय-कॉफी का अधिक सेवन, मसालेदार और जरूरत से ज्यादा मीठी चीजों का सेवन होती है। कुछ ही दिनों में दिवाली का त्योहार आने वाला है, ऐसे में अगर आपको अभी से उल्टा-सीधा खाने की वजह से पेट में गैस या एसिडिटी बनने का डर सता रहा है तो ये कुछ योगासन आप अपने रूटीन में शामिल करके इस समस्या को खुद से दूर रख सकते हैं। बता दें, कई अध्ययनों में पाया गया कि योग का अभ्यास पाचन संबंधी कई समस्याओं और उनके लक्षणों को रोकने में फायदेमंद हो सकता है। आइए जानते हैं आखिर वो कौन से योगासन हैं, जिनकी मदद से आप गैस और एसिडिटी की समस्या को दूर रख सकते हैं।
वज्रासन-
वज्रासन करने के लिए सबसे पहले फर्श पर घुटनों के बल बैठकर अपनी रीढ़ और सिर को सीधा रखें और अपने हाथों को घुटनों पर रखें। इसके बाद अपनी एड़ियों को एक दूसरे से थोड़ा अलग करते हुए आंखों को बंद करके सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस स्थिति में कम से कम 10 मिनट तक बैठने का अभ्यास करें।
पवनमुक्तासन-
पवनमुक्तासन करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। इसके बाद धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने दोनों पैरों को एक साथ उठाकर पैरों के घुटने मोड़ें। अब अपने पैर के घुटनों को छाती की ओर लाते हुए मुंह के पास लाने की कोशिश करें। ऐसा करते हुए अपने दोनों हाथों से पैरों को पकड़कर अपने पैरों के घुटनों से नाक को छूने की कोशिश करें। इस स्थिति में करीब एक मिनट तक बने रहें। धीरे-धीरे अपनी प्रांरभिक अवस्था में लौट आएं।
बालासन-
बालासन का नियमित अभ्यास भी एसिडिटी की समस्या को दूर कर सकता है। इस आसन को करने से पेट के अंदरूनी अंगों की अच्छी तरह मालिश होती है। जिसकी वजह से सभी अंग अच्छी तरह अपना काम कर पाते हैं। बालासन को करने के लिए सबसे पहले अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। सांस लेते समय अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और सांस छोड़ते समय दोनों हाथों को सीधा रखते हुए और माथा जमीन पर रखते हुए कमर के ऊपरी हिस्से को आगे की ओर झुकाएं। 30 सेकंड तक इस मुद्रा में बने रहें। फिर वज्रासन मुद्रा में वापस आ जाएं।
उष्ट्रासन-
उष्ट्रासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर घुटने के बल बैठकर अपने दोनों हाथों को कूल्हों पर रखें। ऐसा करते समय ध्यान रखें कि दोनों घुटने आपके कंधों के समानांतर हों। अब गहरी सांस लें और रीढ़ की निचली हड्डी पर आगे की तरफ दबाव डालें।इस दौरान पूरा दबाव नाभि पर महसूस होना चाहिए। इसके बाद अपने हाथों से पैरों को पकड़कर कमर को पीछे की तरफ मोड़ें। इस स्थिति में 30-60 सेकेंड रुकने के बाद आप धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ सकते हैं। इस आसन को 3-5 बार दोहरा सकते हैं।