एकता का महाकुंभ, युग परिवर्तन की आहट: प्रधानमंत्री मोदी का संदेश

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नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रयागराज में महाशिवरात्रि के साथ संपन्न महाकुंभ पर्व की दिव्यता और भव्यता पर अपने मन के उद्गार व्यक्त करते हुए इसे युग परिवर्तन की आहट बताया है।
उन्होंने महाकुंभ पर अपने विचार को लेखबद्ध करते हुए गुरुवार को कहा है कि सहस्राब्दियों से चली आ रही महाकुंभ की यह सनातन परंपरा राष्ट्र चेतना जागृत करने वाला पर्व है।
श्री मोदी ने लिखा, “महाकुंभ संपन्न हुआ…एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। जब एक राष्ट्र की चेतना जागृत होती है, जब वो सैकड़ों साल की गुलामी की मानसिकता के सारे बंधनों को तोड़कर नव चैतन्य के साथ हवा में सांस लेने लगता है, तो ऐसा ही दृश्य उपस्थित होता है, जैसा हमने 13 जनवरी के बाद से प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में देखा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मैंने देवभक्ति से देशभक्ति की बात कही थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता जुटे, संत-महात्मा जुटे, बाल-वृद्ध जुटे, महिलाएं-युवा जुटे, और हमने देश की जागृत चेतना का साक्षात्कार किया। उन्होंने कहा, “यह महाकुंभ एकता का महाकुंभ था, जहां 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ गई थीं।”
श्री मोदी ने कहा, “तीर्थराज प्रयाग के इसी क्षेत्र में एकता, समरसता और प्रेम का पवित्र क्षेत्र श्रृंगवेरपुर भी है, जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था। उनके मिलन का वो प्रसंग भी हमारे इतिहास में भक्ति और सद्भाव के संगम की तरह ही है। प्रयागराज का ये तीर्थ आज भी हमें एकता और समरसता की वो प्रेरणा देता है।” उन्होंने कहा कि बीते 45 दिनों में प्रतिदिन, मैंने देखा, कैसे देश के कोने-कोने से लाखों-लाख लोग संगम तट की ओर बढ़े जा रहे हैं। संगम पर स्नान की भावनाओं का ज्वार, लगातार बढ़ता ही रहा। हर श्रद्धालु बस एक ही धुन में था, संगम में स्नान! मां गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी हर श्रद्धालु को उमंग, ऊर्जा और विश्वास के भाव से भर रही थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रयागराज में हुआ महाकुंभ का ये आयोजन, आधुनिक युग के ‘मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स’ के लिए, ‘प्लानिंग’ और ‘पॉलिसी एक्सपर्ट्स’ के लिए, नए सिरे से अध्ययन का विषय बना है। आज पूरे विश्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण भी नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया हैरान है कि कैसे एक नदी तट पर, त्रिवेणी संगम पर इतनी बड़ी संख्या में करोड़ों की संख्या में लोग जुटे। इन करोड़ों लोगों को ना औपचारिक निमंत्रण था, ना ही किस समय पहुंचना है, उसकी कोई पूर्व सूचना थी। बस, लोग महाकुंभ चल पड़े और पवित्र संगम में डुबकी लगाकर धन्य हो गए।
श्री मोदी ने कहा, “मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता, स्नान के बाद असीम आनंद और संतोष से भरे वो चेहरे नहीं भूल सकता। महिलाएं हों, बुजुर्ग हों, हमारे दिव्यांग जन हों, जिससे जो बन पड़ा, वो साधन करके संगम तक पहुंचा।” उन्होंने कहा, “मेरे लिए ये देखना बहुत ही सुखद रहा कि बहुत बड़ी संख्या में भारत की आज की युवा पीढ़ी प्रयागराज पहुंची। भारत के युवाओं का इस तरह महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए आगे आना, एक बहुत बड़ा संदेश है। इससे ये विश्वास दृढ़ होता है कि भारत की युवा पीढ़ी हमारे संस्कार और संस्कृति की वाहक है और इसे आगे ले जाने का दायित्व समझती है और इसे लेकर संकल्पित भी है, समर्पित भी है।”

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