आने वाले लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन और मोदी सरकार से लोहा लेने के लिए विपक्षी एकता INDIA गुट ने कमर कस ली है। हाल ही में नीतीश कुमार और लालू यादव की जोड़ी ने बिहार में जातीय जनगणना कर एक बार फिर से पूरे देश में जातीय जनगणना कराने का राग छेड़ दिया है। INDIA गुट में शामिल अन्य विपक्षी पार्टियां भी अपनी-अपनी सभाओं में भी जातीय जनगणना कराने की वकालत कर रही हैं। महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान सोनिया गांधी ने भी महिलाओं के आरक्षण में ओबीसी कोटा लागू करने बात कह चुकी हैं। ऐसे में विपक्ष के इस दाव पर एनडीए गठबंधन के पास कौन सी काट है, जो आने वाले लोकसभा चुनाव में INDIA गठबंधन के उत्साह पर पानी फेर सकती है। पीएम मोदी की हालिया चुनावी रैलियों पर नजर डालें तो ये मुद्दे अब उभर कर आने लगे हैं जिससे विपक्षी गठबंधन की सिरदर्दी और बढ़ जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ में मोर्चा संभाला और जगदलपुर, बस्तर में एक रैली में कहा कि विपक्ष “देश को जाति के नाम पर बांटने की कोशिश कर रहा है।” दिसंबर 2006 में राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में अपने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाषण का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ”वह (सिंह) कहते थे कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है… लेकिन अब कांग्रेस कह रही है कि समुदाय की आबादी तय करेगी कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार किसका होगा। तो क्या अब वे (कांग्रेस) अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कम करना चाहते हैं? क्या वे अल्पसंख्यकों को हटाना चाहते हैं? …तो क्या सबसे बड़ी आबादी वाले हिंदुओं को आगे आकर अपने सभी अधिकार लेने चाहिए?”
जाति सर्वेक्षण पर बीजेपी का वार
बीजेपी ने जाति सर्वेक्षण को “तुष्टिकरण की राजनीति” बताया है। भाजपा ने दावा किया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके पूर्ववर्ती लालू प्रसाद ने मुस्लिम अगड़ी जातियों को अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) श्रेणी में शामिल किया, जिससे हिंदू “वास्तविक ईबीसी” से वंचित हो गए क्योंकि ईबीसी नीतीश का मुख्य समर्थन आधार हैं।
आने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी गुट की जाति की सियासत पर बीजेपी हिंदू वोटरों को का ध्यान अपनी तरफ लाने की कोशिश कर रही है। बिहार में हुए जाति सर्वेक्षण में हिंदुओं की घटती आबादी का भी जिक्र है। बीजेपी, नीतीश और लालू के इस दाव पर अपना वार करेगी और हिंदुत्व के मुद्दों पर गोलबंदी की तैयारी करेगी। ऐसे वक्त में एक देश, एक कानून (कॉमन सिविल कोड) का भी मुद्दा उठने की प्रबल संभावना है। बीजेपी का हमेशा से मानना है कि एक ही घर में दो कानून नहीं चल सकते हैं, तो इससे देश कैसे चलेगा? वहीं विपक्षी गुट में शामिल पार्टियां कॉमन सिविल कोड का विरोध जता रही है। कॉमन सिविल कोड पर बीजेपी आने वाले तीन विधानसभा चुनाव में दाव जरूर लगाना चाहेगी।