इंसान के शरीर के जरूरी अंगों में से एक लीवर भी है। जिसका काम शरीर को फिट रखने का है। लिवर को हेल्दी रखने के लिए शराब ना पीने की सलाह दी जाती है। क्योंकि शराब लिवर का सबसे बड़ा दुश्न है। लेकिन बिना शराब पिए ही लोग फैटी लिवर के शिकार हो रहे हैं। इसे नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीज कहते हैं। जिसमे शराब का सेवन किए बिना ही लिवर के आसपास फैट का डिपॉजिट हो रहा है। जिसका कारण गलत खानपान और लाइफस्टाइल है। आंकड़ों के मुताबिक नॉन एल्कोहलिक लिवर डिसीज लिवर खराब होने का सबसे बड़ा कारण है।
क्या है नॉन एल्कोहलिक लिवर डिसीज
नॉन एल्कोहलिक लिवर डिसीज में लिवर के आसपास फैट जमा होने लगता है। जिसका कारण मोटापा, इंसुलिन रेजिस्टेंस, मेटाबॉलिक सिंड्रोम होता है। फैटी लिवर का अगर समय पर इलाज ना किया जाए तो इसकी वजह से सूजन और लिवर के डैमेज होने का खतरा रहता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक करीब 15-20 प्रतिशत लिवर ट्रांसप्लांट की वजह फैटी लिवर की वजह से फेल हुए लिवर हैं। आगे जानें फैटी लिवर होने की क्या है वजह।
मोटापा या ओबेसिटी
बहुत ज्यादा मात्रा में मोटापा या फिर केवल पेट के आसपास जमा चर्बी फैटी लिवर के खतरे को बढ़ा देती है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस
जिन लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या है और इंसुलिन का लेवल मेंटेन नहीं रख पाते हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस एक तरह की कंडीशन है जिसमे बॉडी सेल्स इंसुलिन के प्रति रिस्पांस करना बंद कर देते हैं। ये समस्या भी ज्यादातर मोटापे की वजह से ही होती है और लिवर के आसपास फैट जमा होने लगता है।
अचानक से वजन घटना
स्लिम रहने के लिए बहुत सारे लोग क्रैश डाइट को फॉलो करते हैं। जिसकी वजह से वजन तेजी से गिरता है। वजन कम करने का ये तरीका जरा भी हेल्दी नही है बल्कि इससे सेहत को काफी सारे नुकसान होते हैं। क्रैश डाइट की वजह से भी फैटी लिवर डिसीज हो जाती है। क्योंकि फैट टिश्यूज ज्यादा मात्रा में फैटी एसिड बनाने लगते हैं और ये लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं।
दवाएं
एचआईवी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाईयां फैटी लिवर का कारण बनती है।
इन बीमारियों में रहता है फैटी लिवर का खतरा
पॉलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस, हाइपोथायराडिज्म और विल्सन डिसीज में लिवर में फैट जमा होने का खतरा रहता है।
अनहेल्दी डाइट
अनहेल्दी डाइट जिसमे सैचुरेटेड फैट, रिफाइंड फ्लोर, कार्बोहाइड्रेट, शुगर की वजह से लिवर के फैटी होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है।
जेनेटिक
कुछ लोगों को फैटी लिवर डिसीज की संभावना जींस से मिलती है। परिवार में अगर माता या पिता में से किसी को फैटी लिवर की समस्या रहती है तो ये बच्चे में भी ट्रांसफर होने की संभावना रहती है।
फैटी लिवर से इस तरह कर सकते हैं बचाव
-हेल्दी रहने के लिए शरीर का ध्यान रखना जरूरी है। अगर लिवर के फैटी होने के जरा से भी संकेत बॉडी दे रहा है तो फौरन डॉक्टर से मिलना जरूरी होता है।
-हेल्दी और न्यूट्रिशियस फूड्स को खाएं। जिससे फैट का डिपॉजिट लिवर के आसपास ना हो। शराब, जंकफूड ये शरीर में ट्राईग्लिसरॉइड की मात्रा बढ़ा देते हैं।
-वजन को मेंटेन करने के लिए हेल्दी डाइट के साथ एक्सरसाइज को रूटीन में शामिल करें। क्रैश डाइट जैसी चीजों को फॉलो करना हार्मफुल है।
-डायबिटीज के मरीजों को लिवर के फैटी होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में हमेशा अपने डॉक्टर से कंसल्ट करते रहें और लिवर का चेकअप भी कराएं। जिससे फैटी लिवर जैसी समस्या से बचा जा सके।
फैटी लिवर के लक्षण
-फैटी लिवर में पेट में दर्द रहता है। पेट के ऊपरी हिस्से में भारीपन महसूस होता है।
-पेट में सूजन महसूस होती है।
-जी मिचलना, उल्टी लगना, भूख ना लगना फैटी लिवर के बहुत ही कॉमन लक्षण हैं।
-कमजोरी और थकान महसूस होना।
-स्किन का पीला पड़ना
-मतिभ्रम या सोचने में कठिनाई होना
-पेट में पानी जैसा महसूस होना
-स्किन पर रैशेज होना
-चोट लगने पर खून ज्यादा बहना।
