उत्तर प्रदेश के हाथरस में 121 लोगों की भगदड़ में मौत के मामले में एजेंसियों ने मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को पकड़ने के लिए पड़ोसी राज्यों राजस्थान और हरियाणा में छापेमारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही शासन के निर्देश पर बनी एसआईटी ने बाबा के मैनपुरी आश्रम पहुंची है। यहां खड़ी दो लग्जरी गाड़ियां पुलिस अपने साथ ले गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि तमाम एजेंसियां पूछताछ के लिए प्रवचनकर्ता सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा की भी तलाश कर रही हैं। हाथरस जिले के फुलरई गांव में दो जुलाई को ‘भोले बाबा’ के सत्संग के बाद मची भगदड़ में कुल 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें अधिकतर महिलाएं थीं। इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में नामजद आरोपी के तौर पर सिर्फ मुख्य सेवादार मधुकर का नाम है और सूरजपाल का नाम दर्ज नहीं किया गया है।
यह प्राथमिकी हाथरस के सिकंदराराऊ पुलिस थाने में दर्ज की गई जिसमें मधुकर के अलावा कई अज्ञात आयोजकों को भी आरोपी बनाया गया और मामले में अब तक छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है। अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि किसी को भी क्लीनचिट नहीं दी गई है। जांच जारी है और सरकारी एजेंसियां फरार मुख्य आरोपी की तलाश कर रही हैं। एजेंसियां, पूछताछ के लिए प्रवचनकर्ता की भी तलाश कर रही हैं।
अधिकारी ने यह भी बताया कि तलाशी अभियान के तहत टीम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों और राज्य के पूर्वी जिलों की खाक छान चुकी है। टीम राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में भी तलाश कर रही है। इस बीच, भगदड़ की घटना की जांच को लेकर गठित विशेष कार्य दल (एसआईटी) की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (आगरा जोन) अनुपम कुलश्रेष्ठ ने सरकार को यह रिपोर्ट सौंपी है।
अधिकारी के अनुसार, गोपनीय रिपोर्ट में हाथरस के जिलाधिकारी आशीष कुमार, पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के बयान शामिल हैं जिन्होंने भगदड़ के कारण पैदा हुई आपातकालीन स्थिति को देखा था।
पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा), 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को हाथरस त्रासदी की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। आयोग इस पहलू से भी जांच करेगा कि यह घटना कोई ”साजिश” तो नहीं थी।