भारत तंजानिया बने रणनीतिक साझीदार, रक्षा सहयोग बढाएंगे

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भारत एवं तंजानिया ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझीदारी में बदलने तथा रक्षा क्षेत्र एवं आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में परस्पर सहयोग को बढ़ाने की आज घोषणा की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन के बीच यहां हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय बैठक में ये फैसले लिये। दोनों देशों के बीच परस्पर सहयोग के छह समझौतों पर भी हस्ताक्षर किये गये। दोनों देशों ने भारत तंज़ानिया रणनीतिक साझीदारी कायम करने के साथ ही स्मार्ट पोर्ट, अंतरिक्ष, जैवप्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, वैमानिकी प्रबंधन जैसे नये क्षेत्रों में आईटीईसी की एक हजार अतिरिक्त स्लॉट खोलने, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की छात्रवृत्तियां 70 से बढ़ा कर 85 करने की घोषणाएं भी कीं।
दोनों देशों ने जिन छह समझौतों पर हस्ताक्षर किये उनमें डिजीटल समाधान के क्रियान्वयन, व्हाइट शिपिंग पर सूचनाओं के आदान प्रदान, सांस्कृतिक आदान प्रदान, खेलों के क्षेत्रों में सहयोग, तंज़ानिया में एक औद्योगिक पार्क की स्थापना और समुद्री परिवहन के क्षेत्र में सहयोग के करार शामिल हैं।
बाद में श्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा, “आज का दिन भारत और तंज़ानिया के संबंधों में एक ऐतिहासिक दिन है। आज हम अपनी सदियों पुरानी मित्रता को रणनीतिक साझीदारी के सूत्र में बाँध रहे हैं। आज की बैठक में हमने इस भावी रणनीतिक साझेदारी की नींव रखते हुए कई नयी पहलों की पहचान की है। भारत और तंज़ानिया आपसी व्यापार और निवेश के लिए एक दूसरे के महत्वपूर्ण साझीदार हैं। दोनों पक्ष स्थानीय मुद्रा में व्यापार बढ़ाने के लिए एक समझौते पर काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे आर्थिक सहयोग की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए हम नए अवसरों की तलाश जारी रखेंगे। तंज़ानिया अफ्रीका में भारत का सबसे बड़ा और करीबी विकास साझीदार है। भारत ने आईसीटी केन्द्र, व्यावसायिक प्रशिक्षण, रक्षा प्रशक्षिण, आईटीईसी तथा आईसीसीआर छात्रवृत्ति के माध्यम से तंज़ानिया की कौशल विकास और क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जल आपूर्ति, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मिलकर काम करते हुए हमने तंज़ानिया के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया है। इसी प्रतिबद्धता से हम आगे भी अपने प्रयत्न जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास द्वारा ज़न्ज़ीबार में कैंपस खोलने का निर्णय हमारे संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह केवल तंज़ानिया के लिए ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय देशों के छात्र-छात्राओं के लिए भी उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा का केन्द्र बनेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की विकास यात्रा का एक बढ़ा आधार प्रौद्योगिकी है। आज डिजिटल सार्वजनिक सेवाओं को साझा करने को लेकर हुए समझौते से हमारी साझेदारी को बल मिलेगा। यह ख़ुशी की बात है कि यूपीआई की प्रणाली को तंज़ानिया में अपनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा, “रक्षा के क्षेत्र में हमने एक पंचवर्षीय रोडमैप पर सहमति बनाई है। इसके माध्यम से सैन्य प्रशिक्षण, नौसैनिक सहयोग, क्षमता निर्माण, रक्षा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में नए आयाम जुड़ेंगे।” उन्होंने कहा कि हमने अंतरिक्ष एवं परमाणु ऊर्जा को जन कल्याण के लिए इस्तेमाल करने पर बल दिया। इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ठोस पहलों की पहचान करते हुए हमने आगे बढ़ने का निर्णय लिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत और तंज़ानिया एकमत हैं कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे गंभीर सुरक्षा खतरा है। इस संबंध मे हमने आतंकवाद से मुकाबले के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि आज हमने कई वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार विमर्श किया। हिन्द महासागर से जुड़े हुए देशों के रूप में हमने समुद्री सुरक्षा, जलदस्युओं और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए आपसी समन्वय बढ़ाने पर बल दिया। हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सभी प्रयासों में हम तंज़ानिया को एक अहम साझीदारी के रूप में देखते है।

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