भारत और मलेशिया के बीच उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का फैसला

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भारत और मलेशिया ने अपनी विस्तारित रणनीतिक साझीदारी को समग्र रणनीतिक साझीदारी का रूप देने और सेमीकंडक्टर, फिनटेक, रक्षा उद्योग, एआई और क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसे उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का मंगलवार को फैसला किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के बीच आज यहां हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय शिखर बैठक में यह निर्णय लिया गया। दोनों देशों ने कामगारों के रोजगार, पर्यटन, ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण, युवा एवं खेल, संचार, डिजिटल तकनीक, वित्तीय क्षेत्र सहित आठ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये तथा भारत मलेशिया सीईओ रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान की।
बैठक के बाद श्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम का उनके पहले भारत दौरे पर स्वागत किया और कहा, “मुझे खुशी है कि मेरे तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही मुझे भारत में आपका स्वागत करने का अवसर मिल रहा है।”
उन्होंने कहा कि भारत और मलेशिया के बीच विस्तारित रणनीतिक साझीदारी का एक दशक पूरा हो रहा है। और पिछले दो सालों में, श्री इब्राहिम के सहयोग से हमारी साझीदारी में एक नई गति और ऊर्जा आई है। आज हमने आपसी सहयोग के सभी क्षेत्रों पर व्यापक रूप से चर्चा की है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत और मलेशिया दोनों देश सदियों से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। मलेशिया में रह रहे लगभग 30 लाख भारतीय प्रवासी हमारे बीच एक जीवंत सेतु हैं। भारतीय संगीत, खान-पान और उत्सव से लेकर मलेशिया में तोरण गेट तक हमारे लोगों ने इस मित्रता को संजोया है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष मलेशिया में हुआ पीआईओ दिवस‘ एक बहुत सफल और लोकप्रिय कार्यक्रम था। जब हमारे नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना हुई, तो उस एतिहासिक क्षण का जोश मलेशिया में भी देखा गया। आज कामगारों के रोजगार संबंधी समझौते से, भारत से कामगारों की भर्ती के साथ-साथ उनके हितों के संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। लोगों के आवागमन को सरल बनाने के लिए हमने वीजा प्रक्रिया को आसान बनाया है। विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति और सरकारी अधिकारियों के प्रशिक्षण पर बल दिया जा रहा है। अब (आई-टेक) छात्रवृति के अंतर्गत मलेशिया के लिए साइबर सुरक्षा और एआई जैसे अत्याधुनिक कोर्स के लिए 100 सीटें विशेष रूप से आवंटित की जाएगी। मलेशिया की “यूनिवर्सिटी तुन्कु अब्दुल रहमान” में एक आयुर्वेद अध्ययन पीठ स्थापित की जा रही है। इसके अलावा, मलेया यूनिवर्सिटी में तिरुवल्लुवर अध्ययन पीठ स्थापित करने का निर्णय भी लिया गया है।
उन्होंने कहा कि आसियान और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में मलेशिया, भारत का अहम साझीदार है। भारत आसियान केन्द्रीयता को प्राथमिकता देता है। हम अंतराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नौवहन एवं उड्डयन की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध हैं। और, सभी विवादों के शांतिपूर्वक हल का पक्ष रखते हैं।
श्री मोदी ने कहा कि हम सहमत हैं कि भारत और आसियान के बीच मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा को समयबद्ध तरीके से पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज हम दोनों ने रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग की नई संभावनाओं पर भी बात की है। आतंकवाद और अतिवाद के खिलाफ लड़ाई में भी हम एकमत हैं।
श्री मोदी ने कहा कि आज हमने आपसी सहयोग के सभी क्षेत्रों पर व्यापक रूप से चर्चा की। हमने देखा कि हमारे द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर प्रगति हो रही है। अब हमारा व्यापार रुपये और रिंगिट में भी हो रहा है। पिछले वर्षों में मलेशिया द्वारा भारत में पांच अरब डॉलर तक का निवेश किया गया है। आज हमने निर्णय लिया है कि हम अपने सहयोग को ‘समग्र रणनीतिक साझीदारी’ के स्तर तक बढ़ाएंगे। हमारा मानना ​​है कि आर्थिक सहयोग के मामले में दोनों देशों के लिए अभी भी काफी संभावनाएं और संभावनाएं मौजूद हैं। सेमीकंडक्टर, फिनटेक, रक्षा उद्योग, एआई और क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसे जिन क्षेत्रों में नई और आधुनिक तकनीक की जरूरत है, हम सहयोग बढ़ाएंगे। डिजिटल तकनीक में सहयोग के लिए भारत के यूपीआई को मलेशिया के पे-नेट से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2025 में, मलेशिया की सफल आसियान अध्यक्षता के लिए भारत पूरा समर्थन देगा।

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