Alcoholic Hepatitis: दुनियाभर में 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह खास दिन लोगों के बीच वायरल हेपेटाइटिस को लेकर जागरूकता बढ़ाने और इस स्थिति में सुधार करने के उद्धेश्य से मनाया जाता है। दरअसल, हेपेटाइटिस (Hepatitis) लिवर से जुड़ी एक बीमारी है, जो वायरल इन्फेक्शन के कारण होती है। इस बीमारी में लीवर में सूजन आ जाती है। बता दें, हेपाटाइटिस में 5 प्रकार के वायरस होते हैं, जैसे- ए,बी,सी,डी और ई। जिसके बार में हो सकता है ज्यादातर लोग जानते भी हों। लेकिन क्या आपने कभी अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के बारे में कुछ पढ़ा या सुना है? अगर नहीं तो आइए जानते हैं सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल, गुरुग्राम के डॉक्टर अंकुर गर्ग, (एच.ओ.डी. एंड सीनियर कंसल्टेंट, एच.पी.बी. सर्जरी एंड लिवर ट्रांसप्लांट,) से आखिर क्या होता है अल्कोहलिक हेपेटाइटिस, इसके लक्षण और बताव के उपाय।
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि शराब का सेवन व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है, लेकिन शरीर में लिवर एक ऐसा अंग है जो इससे खासतौर पर प्रभावित होता है। शराब का अत्याधिक सेवन करने वाले लोगों को लिवर से जुड़े रोगों का जोखिम सबसे ज्यादा रहता है। ऐसे ही एक जोखिम में अल्कोहलिक हेपेटाइटिस का नाम भी शामिल है।
क्या है अल्कोहलिक हेपेटाइटिस-
अल्कोहल के अत्याधिक सेवन की वजह से जब लिवर में इन्फ्लेमेशन या सूजन आने के साथ लिवर का संचालन भी बाधित होने लगता है। साथ ही इलाज में देरी होने की वजह से लिवर इस सूजन की वजह से धीरे-धीरे खराब होने लगता है तो इस स्थिति को अल्कोहलिक हेपेटाइटिस कहते हैं। इसकी गंभीर स्थिति में आंखों का सफेद भाग पीला दिखाई देने लगता है, जिसे पीलिया कहते हैं।
अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के लक्षण-
अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के लक्षण गंभीर हो सकते हैं, इनमें बुखार, बेवजह थकान, अचानक वजन कम होते जाना, लिवर में सूजन की वजह से दर्द, अत्याधिक कमजोरी आदि शामिल हैं। इस बीमारी में लिवर के साथ साथ किडनी का संचालन भी प्रभावित हो सकता है।
अल्कोहलिक हेपेटाइटिस से बचाव-
जहां इलाज में देरी करने के नतीजे गंभीर हो सकते हैं, वहीं अल्कोहलिक हेपेटाइटिस का समय रहते इलाज करवाने से बचाव भी सुनिश्चित किया जा सकता है। अल्कोहलिक हेपेटाइटिस से बचाव के लिए रोगी को इन बातों पर खास ध्यान देना चाहिए।
शराब का सेवन न करें-
शराब का सेवन लिवर को सीधे प्रभावित करता है। इसलिए शराब का सेवन करने से बचें। खासकर तब जब आप किसी अन्य बीमारी के कारण दवाओं का सेवन कर रहे हैं। ऐसे में अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
हेपेटाइटिस-सी के रोगी दें विशेष ध्यान-
हेपेटाइटिस-सी के रोगियों को भी विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इस संक्रमण से ग्रसित होने के बाद लापरवाही करने पर रोग की गंभीरता का विशेष जोखिम बना रहता है।
वेट कंट्रोल-
सामान्य से अधिक वजन अल्कोहलिक हेपेटाइटिस की गंभीरता को बढ़ा सकता है। ऐसे में उचित व्यायाम व आहार की मदद से वजन को नियंत्रण में रखने की कोशिश करें।
किसी भी लक्षण को न करें नजरंदाज-
अक्सर कई बार लोग पेट में तेज दर्द, बेचैनी महसूस होने पर घरेलू उपचार अपनाकर संतुष्ट हो जाते हैं। लेकिन ऐसा लगातार हो रहा हो तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
लगातार करवाएं जांच-
लक्षणों को देखते हुए लिवर फंक्शनिंग टेस्ट (एल. एफ़. टी.), रक्त जांच, एब्डोमिनल सीटी स्कैन आदि जांच के जरिए अल्कोहलिक हेपेटाइटिस को स्क्रीन किया जा सकता है। साथ ही इसका समय पर इलाज भी सुनिश्चित किया जा सकता है।
बचाव-
बात अगर बचाव की करें तो स्वस्थ जीवनशैली में ही अल्कोहलिक हेपेटाइटिस का बचाव छिपा हुआ है। लिवर की गंभीर बीमारियों के आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं, ऐसे में अपने खान-पान पर उचित ध्यान दें, नियमित व्यायाम करें व किसी भी लक्षण के नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।