भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने बैंकों से संचालन के मानकों में और अधिक सुधार तथा जोखिम प्रबंध की मजबूती पर जोर दिया है।
डॉ. दास ने बुधवार को यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के कुछ चुनिंदा बैंकों के प्रबंध निदेशकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के साथ कर्ज की गुणवत्ता आदि के विषय पर चर्चा के लिए बैठक में बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
एक विज्ञप्ति के अनुसार आरबीआई गर्वनर ने कहा कि आज बैंकिंग क्षेत्र पहले से अधिक मजबूत स्थिति में है पर संचालन के मानकों , जोखिम प्रबंधन प्रथाओं और अनुपालन संस्कृति को और मजबूत करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने धन की हेराफेरी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ‘म्यूल एकाउंट’ (ढुलाई खातों) के खिलाफ कार्रवाई तेज करने और डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने के लिए अन्य उपायों के साथ-साथ ग्राहक जागरूकता और शिक्षा पहल को भी तेज करने का आग्रह किया।
यह बैठक रिजर्व बैंक के विनियमन क्षेत्र में आने वाले वित्तीय संगठनों के शीर्ष अधिकारियों के साथ निरंतर सम्पर्क बनाए रखने के विभिन्न उपायों के तहत आयोजित की गयी। इसमें आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव और स्वामीनाथन जे. के साथ-साथ विनियमन और पर्यवेक्षण कार्यों के प्रभारी कार्यकारी निदेशक भी शामिल हुए। इस तरह की एक बैठक 14 फरवरी को हुई थी।
विज्ञप्ति के अनुसार गवर्नर डॉ. दास ने बैठक के शुरू में बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता, ऋणों के लिए पूंजी प्रावधान, पूंजी पर्याप्तता और लाभप्रदता में निरंतर सुधार की जरूरत का उल्लेख किया। उन्होंने बैंकों द्वारा मजबूत साइबर सुरक्षा नियंत्रण सुनिश्चित करने और तीसरे पक्ष के जोखिमों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
बैठक में ऋण और जमा वृद्धि के बीच लगातार अंतर, तरलता जोखिम प्रबंधन और एएलएम से संबंधित मुद्दे, असुरक्षित खुदरा ऋण में रुझान, साइबर सुरक्षा, तीसरे पक्ष के जोखिम और डिजिटल धोखाधड़ी, आश्वासन कार्यों को मजबूत करने, एमएसएमई इकाइयों के लिए कर्ज सुविधा, सीमा पार लेनदेन के लिए भारतीय रुपये का उपयोग बढ़ाना और रिजर्व बैंक की नवाचार पहलों में बैंकों की भागीदारी जैसे विषयों पर चर्चा की गयी।