न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में आरोपी पूर्व जनरल मैनेजर हितेश मेहता ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. RBI के अधिकारियों को उसने बताया कि 122 करोड़ रुपये उसने रकम अपने पहचान के लोगों को दिए हैं. साथ ही यह भी कहा कि उसने यह रकम कोविड (Covid-19) काल के समय निकालना शुरू किया था.
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में आरबीई के अधिकारियों ने आरोपी पूर्व जनरल मैनेजर हितेश मेहता से पूछताछ की. आरोपी हितेश ने आरबीआई के सामने बताया कि उसने बैंक से निकाले गए रकम अपने पहचान को लोगों को दिया है.
गौरतलब है कि अकाउंट हेह होने की वजह से आरोपी हितेश मेहता के पास बैंक का कैश संभालने की जिम्मेदारी थी. इसके अलावा GST और TDS देखने का और पूरा अकाउंट देखने की जिम्मेदारी भी आरोपी की ही थी. मिली जानकारी के अनुसार प्रभादेवी तिजोरी से 112 करोड़ रुपये और गोरेगांव कार्यालय की तिजोरी से 10 करोड़ रुपये गायब हुए हैं.
दादर थाने में एफआईआर दर्ज
बैंक के सीओओ की शिकायत पर दादर पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज किया है. पुलिस शिकायत के अनुसार, साल 2020 से 2025 के बीच यह घोटाला हुआ. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में हितेश के अलावा एक और व्यक्ति का भी इस घोटाले में शामिल होने का शक है. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे आगे की जांच के लिए इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) को ट्रांसफर कर दिया गया है.
बता दें कि पुलिस ने इस मामले में सीओओ की शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 316 (5) और 61 (2) के तहत केस दर्ज किया है. इकोनॉमिक ऑफेंस विंग की जांच से यह साफ होगा कि यह घोटाला कैसे अंजाम दिया गया और इसमें कितने लोग शामिल थे. इसके अलावा जांच में यह भी पता चलेगा कि क्या बैंक की ओर से नियमों और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने में कोई लापरवाही बरती गई थी.
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