इजरायल और आतंकी संगठन हमास के बीच की लड़ाई दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इजरायल में घुसे ज्यादातर आतंकियों को ढेर किया जा चुका है, लेकिन रॉकेट और तमाम हमलों के चलते अब तक इजरायल के 1200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इजरायल के पलटवार में भी गाजा के हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा, 5600 से ज्यादा लोग घायल हैं। इजरायल के समर्थन में अमेरिका समेत ज्यादातर पश्चिमी देश उतर आए हैं और मदद कर रहे हैं। इजरायल-हमास की यह जंग जल्द सुलझने वाली नहीं दिख रही। दोनों के बीच भले ही संघर्ष की शुरुआत शनिवार को हुई हो, लेकिन हमास इसकी तैयारी लंबे समय से कर रहा था। यही वजह है कि दुनियाभर में अपनी सुरक्षा और खुफिया एजेंसी मोसाद को लेकर मशहूर इजरायल को भी यह नहीं पता चल सका कि आखिर कैसे अचानक उसके ऊपर इतना बड़ा हमला हो गया। कुछ ही समय में हमास आतंकियों पांच हजार मिसाइलें दाग दीं, जिसके कई रॉकेट्स को इजरायल का आयरन डोम डिटेक्ट नहीं कर सका और लोगों की जान चली गई। सवाल उठ रहे हैं कि गाजा पट्टी का आतंकी संगठन हमास आखिर कैसे इतने आधुनिक हथियार पा गया, जबकि आसपास के देशों की उसकी एक-एक गतिविधि पर नजर रहती है।
गाजा पट्टी की बात करें तो यह बहुत घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जहां बहुत कम संसाधन हैं। यहां पर रहने वाले ज्यादातर लोग बेहद ही गरीब हैं, जिसका फायदा हमास के आतंकी समय-समय पर उठाते रहते हैं। गाजा पट्टी दो तरफ से इजरायल और एक तरफ से मिस्त्र से लगती है। यह 17 सालों तक दुनिया से कटा रहा और फिर हमास ने इस पर नियंत्रण कर लिया। इसके बाद इजरायल और मिस्त्र को इलाके की सख्त घेराबंदी करनी पड़ी। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीआईए की वर्ल्ड फैक्टबुक में कहा गया है कि हमास अपने हथियार तस्करी या स्थानीय निर्माण के जरिए से हासिल करता है। इसके अलावा, ईरान से कुछ सैन्य सहायता प्राप्त करता है।” हालांकि, इजरायल और अमेरिकी सरकारों को अभी तक पिछले हफ्ते हुए हमास के आतंकी हमले में ईरान की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं मिली है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईरान लंबे समय से हमास का मुख्य सैन्य समर्थक रहा है। हमास गुप्त सीमा पार सुरंगों या भागने वाली नौकाओं के माध्यम से हथियारों की तस्करी करता रहा है।